लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा को पूर्ण बहुमत नही मिला भले ही गठबंधन से मोदी एक बार फिर प्रधानमंत्री बन गए हो ,लेकिन हार के कारण क्या थे इस पर पूरे देश मे बहस चल रही है , भाजपा भी आंकलन करने में जुटी है कि आखिर देश मे जहा भाजपा मोदी सरकार के दस साल के कार्यकाल में किये गए बड़े बड़े फैसलों के दम पर जीत की आस लगाए बैठी थी उसे 2019 के चुनावों से भी कम सीट मिली , इसे विपक्ष के इंडिया गठबंधन की रणनीति भी कह सकते है जिसमे उन्होंने भाजपा को उन्ही के नेताओ द्वारा दिये गए बयानों पर घेरते हुए बाजी को पलट दिया , हम आज बात कर रहे है वो भाजपा के कोंन कोंन से नेता है और उन्होंने क्या ऐसे बयान दिए जिसका खामियाजा भाजपा को उठाना पड़ा ।
चुनावो से पहले ही भाजपा की मोदी सरकार ने एक नारा जारी किया अबकी बार 400 पार , फिर एक बार मोदी सरकार बस यही से शुरू हुआ खेल , चुनावो के एलान के बाद टिकटों का वितरण हुआ और प्रत्याशियो ने भी अबकी बार 400 पार ,फिर एक बार मोदी सरकार के नारे के साथ प्रचार शुरू किया , लेकिन इस दौरान कुछ नेताओ के बयानों ने विपक्ष को बैठे बैठाए एक मुद्दा दे दिया , क्योंकि कुछ नेताओ ने बयान दिए कि इस बार सविंधान में संशोधन करना है इसलिए इस बार 400 पार चाहिए , बस यही से बाजी पलटने लगी , विपक्ष ने इस मुद्दे का इस तरह से प्रचार किया कि मोदी सरकार अगर इस बार केंद्र में आई तो आरक्षण खत्म कर देंगे ,सविंधान खत्म कर देंगे , इसका असर छोटे तबके में काफी हद तक हुआ जिसका परिणाम भी ऐसा ही आया कि भाजपा अपने दम पर बहुमत तक हासिल नही कर पाई ।
सबसे पहले बात करते है हिमंत बिस्व सरमा की जो असम के मुख्यमंत्री है , उन्होंने लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान कहा था कि बीजेपी अगर 400 के पार पहुंच जाएगी, तब मथुरा में कृष्ण जन्मस्थान और काशी में ज्ञानवापी मस्जिद के स्थान पर बाबा विश्वनाथ का भव्य मंदिर बनाया जाएगा. साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि पूरे देश में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने के लिए NDA को 400 से अधिक सीटें जीतनी होगी बस यही से विपक्ष को मुद्दा मिला और प्रचार किया भाजपा इस बार सत्ता में आई तो सविंधान खतरे में है ,
इससे पहले भी भाजपा नेता अनंत हेगड़े जो कर्नाटक की उत्तर कन्नड़ लोकसभा सीट से छह बार सांसद रहे उन्होंने भी संविधान को लेकर बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि अगर संविधान में संशोधन करना है, तो NDA को 400 सीटों की जरूरत पड़ेगी. उनके इस बयान के बाद बीजेपी ने किनारा कर लिया और उनका टिकट भी काट दिया था लेकिन विपक्ष को एक के बाद एक मौके मिलते चले गए ।
बात यही खत्म नही हुई राजस्थान में कोंग्रेस से भाजपा में आई ज्योति मिर्धा जिन्हें भाजपा ने नागौर से प्रत्याशी बनाया उन्होंने भी एक चुनावी रैली के दौरान संविधान को बदलने की बात कह डाली , उन्होंने कहा था, ”देश के हित में कई कठोर निर्णय लेने होते हैं. उनके लिए हमें कई संवैधानिक बदलाव करने पड़ते हैं.”.
बात अगर अयोध्या के भाजपा प्रत्याशी लल्लू सिंह की करे तो यह भी इस तरह के बड़बोलेपन से पीछे नही रहे , चुनाव के दौरान लल्लू सिंह का भी एक बयान चर्चाओं में रहा था , उन्होंने कहा था कि बीजेपी को नया संविधान बनाने के लिए संसद में दो-तिहाई बहुमत की जरूरत पड़ेगी.
कुल मिलाकर ये भाजपा के वो नेता है जिनके बयानों को आधार बनाकर विपक्ष ने इसे मुद्दा बनाया और इसका पूरा लाभ लिया । वही भाजपा नेताओ को बार बार जनता के बीच आकर यह बताना पड़ा कि विपक्ष सविंधान खतरे में है और आरक्षण खत्म करने के भाजपा पर गलत आरोप लगाए जा रहे है लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी ।