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राजस्थान के बड़े नेताओं की बात करे तो आज कल ज्योति मिर्धा का नाम सुर्खियों में चल रहा है ज्योति मिर्धा ने हाल ही में कोंग्रेस छोड़कर भाजपा की सदस्यता ग्रहण की है आज हम हमारे खास प्रोग्राम राजनेता में आपको बताएंगे ज्योति मिर्धा की पूरी कहानी
थोड़ा सा म्यूजिक के साथ मिर्धा की फोटो
राजस्थान की राजनीति में जाट समाज अपना एक वर्चस्व रखता है , जिसमे नाथूराम मिर्धा एक बड़ा नाम रहा है बताया जाता आपातकाल के बाद 1977 में हुए चुनावो में राजस्थान से कोंग्रेस ने एक मात्र नागौर से नाथूराम मिर्धा ने जीत हासिल की थी । नाथूराम इतने लोकप्रिय नेता थे जिन्हें जनता ने छह बार सांसद बनाया , ज्योति मिर्धा के भाई भानुप्रकाश भी नागौर से भाजपा के सांसद रह चुके है ,
ज्योति मिर्धा ने 2009 में नागौर से कोंग्रेस प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा और पहली बार सांसद बनी , उसके बाद 2014 में ज्योति मिर्धा को भाजपा के सीआर चोधरी ने हराया था उसके बाद 2019 में हनुमान बेनीवाल की पार्टी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने एनडीए के समर्थन से चुनांव लड़ा और हनुमान बेनीवाल सांसद बने लेकिन अब हनुमान ने अपनी अलग राह पकड़ ली है , जिसे देखते हुए भाजपा को हनुमान की काट करने के लिए एक मजबूत जाट चेहरे की तलाश थी जो ज्योति मिर्धा के भाजपा में शामिल होने से पूरी होती नजर आ रही है ।
ज्योति मिर्धा मारवाड़ के सियासी ताकतवर परिवार से ताल्लुक रखती है ,
बीजेपी ने ज्योति मिर्धा को पार्टी में लेकर नागौर के सियासी समीकरण साधने का प्रयास किया है। मिर्धा परिवार का अब भी नागौर की सियासत पर प्रभाव है। पहले नाथूराम मिर्धा के बेटे भानुप्रकाश मिर्धा भी बीजेपी की टिकट पर नागौर से सांसद रह चुके हैं। भानुप्रकाश मिर्धा ने नाथूराम मिर्धा के देहांत के बाद हुए उपचुनाव में दिग्गज नेता रामनिवास मिर्धा को हराया था, लेकिन बाद में वे सियासत से दूर हो गए। ज्योति मिर्धा 2009 में नागौर सीट से सांसद रहीं, लेकिन 2014 और 2019 में लोकसभा चुनाव हार गईं थीं।
नागौर के मिर्धा परिवार की हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के परिवार से रिश्तेदारी है। ज्योति मिर्धा की बहन श्वेता मिर्धा भूपेंद्र हुड्डा के बेटे और राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा की पत्नी हैं। कयास ये लगाए जा रहे है ज्योति मिर्धा के बाद कई और कोंग्रेस के नेता भी भाजपा का रुख कर सकते है ।
ज्योति मिर्धा के बीजेपी में शामिल होने से अब कांग्रेस और बीजेपी के सियासी समीकरण बदल गए हैं। कांग्रेस में अब
लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए नए चेहरे के लिए भाजपा ने जाट समुदाय से ताल्लुक रखने वाला चेहरा ढूंढ लिया है । हनुमान बेनीवाल के लिए अब नागौर की सीट सियासी रूप से बहुत मुश्किल हो गई है। हनुमान बेनीवाल अकेले लड़ते हैं तो उनके लिए राह आसान नहीं होगी , ज्योति मिर्धा को भाजपा में शामिल करने के बाद भाजपा मजबूत नजर आ रही है ।
पिछले दिनों दिल्ली बीजेपी मुख्यालय में बीजेपी जॉइन करके बाद ज्योति मिर्धा ने कहा- हम राष्ट्र निर्माण में एक भूमिका निभाना चाहते हैं, मुझे वहां पर इसके अवसर कम दिखाई दे रहे थे। मिर्धा ने कहा कि महिला अत्याचार, कानून व्यवस्था को लेकर आज जो स्थिति राजस्थान में है, वह ठीक नहीं है। खुद के हमारे कार्यकर्ताओं की अनदेखी हो रही थी। कई लोग ऐसी घुटन महसूस कर रहे थे, उन्होंने कांग्रेस का परिवार छोड़कर बीजेपी को अपनाया है।
राज नेता के इस कार्यक्रम में आज इतना ही ज्योति मिर्धा के बाद अगले एपिसोड में जानेंगे किसी और राजनेता की पृष्टभूमि
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