हरियाणा विधानसभा चुनावों से पहले कोंग्रेस बड़ा झटका लगा है ,कांग्रेस की कद्दावर नेता किरण चौधरी ने पार्टी छोड़ कर बीजेपी का दामन थाम लिया है. इस्तीफा देते हुए किरण ने कहा है कि हरियाणा कांग्रेस एक व्यक्ति की पार्टी बनकर रह गई है. किरण का निशाना पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा पर ही था ।
हरियाणा में अब से 4 महीने बाद विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं. हरियाणा में विधानसभा की कुल 90 सीटें हैं. फिलहाल यहां भाजपा की सरकार है , इस बार लोकसभा में कोंग्रेस को मिले जनसमर्थन के बाद कोंग्रेस नेता व कार्यकर्ता काफी उत्साहित है । लेकिन कोंग्रेस की अंदरूनी कलह क्या रंग दिखाएगी यह तो आने वाला समय ही बताएगा लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र हुड्डा से नाराजगी को लेकर पिछले कुछ सालों में हरियाणा के दस दिग्गज नेता पार्टी छोड़ चुके है ।
इनमें राव इंद्रजीत सिंह,अशोक तंवर और कुलदीप बिश्नोई , सुमेत्रा चौहान के बाद अब इसी कड़ी में किरण चौधरी के जाने के बाद अब यह तय हो गया है कि हरियाणा में हुड्डा ही कांग्रेस के वो नेता है जिनके आगे कोंग्रेस हाईकमान भी बेबस बना हुआ है ।
हरियाणा में 2014 के बाद भूपिंदर हुड्डा के 5 बड़े विरोधी कांग्रेस छोड़ चुके हैं. इनमें केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह, पूर्व सीएम भजनलाल के बेटे कुलदीप विश्नोई, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर, पूर्व महिला प्रदेश अध्यक्ष सुमेत्रा चौहान और अब किरण चौधरी का नाम प्रमुख हैं.
इनमें सबसे पहले राव इंद्रजीत सिंह कांग्रेस से निकले थे. इंद्रजीत सिंह को कांग्रेस की सरकार में पूरी तरह से साइड लाइन कर दिया गया था. इंद्रजीत सिंह उस वक्त गुड़गांव से कांग्रेस के सांसद थे. हुड्डा से खटपट के बाद राव ने गांधी परिवार के रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ मोर्चेबंदी कर दी. इसके बाद कांग्रेस हाईकमान से उनकी बात बिगड़ती चली गई और आखिर में राव पार्टी छोड़ चले गए. राव के बाद दूसरा बड़ा झटका कांग्रेस को अशोक तंवर ने दिया था. 2019 में चुनाव से पहले अशोक तंवर ने हुड्डा के खिलाफ नाराजगी जाहिर करते हुए पार्टी छोड़ दी.
कहा जाता है हरियाणा में चाहे लोकसभा का चुनाव हो या विधानसभा का चुनाव हो… हरियाणा कांग्रेस में टिकट वितरण में हुड्डा का ही दबदबा रहता है. हालिया लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी हरियाणा की 9 लोकसभा सीटों पर लड़ी थी. इनमें 8 सीटों पर हुड्डा कैंप के उम्मीदवार थे. सिर्फ सिरसा की एक सीट कुमारी शैलेजा को मिली थी. 2020 में कुमारी शैलेजा की राज्यसभा सीट पर हुड्डा ने अपने बेटे को उम्मीदवार बना दिया था. उस वक्त शैलेजा के अलावा रणदीप सिंह सुरजेवाला भी दावेदार थे.
कोंग्रेस शीर्ष नेतृत्व हुड्डा के खिलाफ कभी कार्यवाही नही कर पाया हालांकि 2016 में राज्यसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के 14 विधायकों ने गलत तरीके से वोटिंग करने पर शीर्ष नेतृत्व ने कार्यवाही की बात जरूर की लेकिन हुआ कुछ नही जबकि विधायकों की इस गलती का खामियाजा कांग्रेस समर्थित राज्यसभा उम्मीदवार को भुगतना पड़ा था. इस मामले में हुड्डा निशाने पर आए थे, क्योंकि गलती करने वाले अधिकांश विधायक उन्हीं के करीबी थे.
इतना ही नही 2019 के लोकसभा चुनाव बाद गुलाम नबी आजाद के नेतृत्व में कांग्रेस के 23 नेताओं ने पार्टी हाईकमान खासकर राहुल गांधी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. इस जी-23 में हुड्डा भी शामिल थे. हुड्डा का दबाव काम आया और पार्टी ने उन्हें हरियाणा में फ्री-हैंड दे दिया. इसके बाद से ही हरियाणा में हुड्डा काफी प्रभावी हैं.
अब देखने की बात होगी कोंग्रेस चल रही अंदरूनी कलह से विधानसभा चुनाव में भाजपा की हैट्रिक को रोक भी पाएगी या नही ….