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अलवर लोकसभा क्षेत्र से भाजपा ने भपेंद्र यादव को चुनांव में उतार दिया है , यादव बाहुल्य मानी जाने वाली इस सीट पर अब कोंग्रेस भी यादव प्रत्याशी को मैदान में उतार रही है इसके लिए भले ही आधिकारिक घोषणा नही की हो लेकिन मुंडावर विधायक ललित यादव के नाम का अनोपचारिक एलान तो सामने आ चुका है

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अलवर

अलवर लोकसभा क्षेत्र से भाजपा ने भपेंद्र यादव को चुनांव में उतार दिया है , यादव बाहुल्य मानी जाने वाली इस सीट पर अब कोंग्रेस भी यादव प्रत्याशी को मैदान में उतार रही है इसके लिए भले ही आधिकारिक घोषणा नही की हो लेकिन मुंडावर विधायक ललित यादव के नाम का अनोपचारिक एलान तो सामने आ चुका है , अब भपेंद्र यादव के सामने क्या क्या चुनोतियाँ होगी , एक तरफ ललित यादव युवा नेता है मौजूदा मुंडावर से विधायक है और इस विधानसभा चुनावों में 50 हजार से ज्यादा मतों से जीत हासिल की , ललित यादव की क्षेत्र में मजबूत पकड़ से साथ युवाओं की फैन फॉलोइंग भी काफी तादाद में है ,

वही भपेंद्र यादव भाजपा के दिग्गज नेता है ,वह हरियाणा के रहने वाले है लेकिन राजस्थान के अजमेर से उनकी शिक्षा हुई और दो बार राज्यसभा के सांसद राजस्थान से ही भेजे गए , अब अलवर में रोचक मुकाबला देखा जा रहा है , आज इस खबर में हम आपको विस्तार से बताते है अलवर लोकसभा चुनावो में क्या रहता है समीकरण….

अलवर जिले में 11 विधानसभा सीट आती है हालांकि अब जिलों के बंटवारे के बाद वह कम हो गयी है लेकिन अलवर लोकसभा की अगर बात करे तो इसमे आठ विधानसभा आती है , बानसूर विधानसभा जयपुर ग्रामीण लोकसभा क्षेत्र में आती है वही थानागाजी विधानसभा दौसा लोकसभा क्षेत्र में और कठूमर विधानसभा भरतपुर लोकसभा क्षेत्र में आती है , इसके बाद जो शेष आठ विधानसभा जो अलवर लोकसभा में आती है उनमें बहरोड , मुंडावर , किशनगढ़बास , तिजारा , अलवर शहर ,अलवर ग्रामीण , रामगढ़ और राजगढ़ लक्ष्मणगढ़ आती है ,

अब इस पर चर्चा करते है भाजपा प्रत्याशी भपेंद्र यादव के सामने क्या चुनोती रहने वाली है दरअसल फिलहाल इन आठ विधानसभा सीटों में तिजारा से महंत बालक नाथ योगी , बहरोड से डॉक्टर जसवंत यादव और अलवर शहर से संजय शर्मा भाजपा के विधायक है वही शेष पांच में अलवर ग्रामीण से टीकाराम जूली , रामगढ से जुबेर खान , राजगढ़ से मांगीलाल मीणा , किशनगढ़बास से दीपचंद खैरिया और मुंडावर से ललित यादव सहित पांच सीटो पर कोंग्रेस का कब्जा है ..कोंग्रेस के सभी विधायक काफी अच्छे मतों से जीते है वही भाजपा प्रत्याशियो की जीत का अंतर कम रहा ।

क्या भूपेंद्र यादव को बाहरी होने का नुकसान हो सकता है , क्या अलवर लोकसभा चुनावों में निर्णायक भूमिका निभाने वाले यादव समाज दो भागों में बटेगा , इसमे कोंग्रेस प्रत्याशी ललित यादव को स्थानीय का लाभ है तो वही भूपेंद्र यादव सिर्फ मोदी सरकार द्वारा उनके दस सालों के किये गए कामो के दम पर वोट मांग रहे है ।
अलवर लोकसभा क्षेत्र में यादव मतदाताओं के बाद दूसरी कौम मेव मुस्लिम और एससी एसटी आते है जिसे कोंग्रेस का वोट बैंक माना जाता है ..

हालांकि भाजपा का नारा इस बार 400 के पार और मोदी की गारंटी का प्रचार पूरे जोर शोर से किया जा रहा है लेकिन इस बार कोंग्रेस भी कही महागठबंधन के सहारे तो कही बड़े नेताओं को चुनांव में उतार कर अपनी गिरती साख को बचाने के प्रयास में जुटी है ,

खैर थोड़ा इंतजार करते है जैसे जैसे जैसे प्रत्याशियो की घोषणा होगी तभी तस्वीर साफ हो पाएगी …

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