दिल्ली
जैन संत आचार्य श्री विद्याभूषण महाराज ने ली समाधि
18 फरवरी की सुबह जब लोग जागे तब तक इस सदी के महान संत आचार्य श्री विद्यासागर महाराज हमेशा के लिए सो चुके थे. 18 फरवरी का दिन जैन समुदाय और संत समाज के लिए बेहद कठिन दिन है. एक महान संत ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया ।
10 अक्टूबर 1946, शरद पूर्णिमा को कर्नाटक के बेलगाम जिले के सदलगा गांव में एक जैन परिवार में जन्मे बालक विद्याधर की बचपन से ही धर्म में गहरी रुचि थी. जिस घर में उनका जन्म हुआ था, अब वहां एक मंदिर और संग्रहालय है. 4 बेटों में दूसरे नंबर के बेटे विद्याधर ने कम उम्र में ही घर का त्याग कर दिया. 1968 में 22 साल की उम्र में अजमेर में आचार्य शांतिसागर से जैन मुनि के रूप में दीक्षा ले ली. इसके बाद 1972 में महज 26 साल की उम्र में उन्हें आचार्य पद सौंपा गया.
5 नवंबर 2023 को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब छत्तीसगढ़ आए तो इस दौरान उन्होंने आचार्य श्री विद्यासागर का आशीर्वाद भी लिया। पीएम मोदी ने चंद्रगिरी पर्वत तीर्थ पर जाकर आचार्य श्री से मुलाकात की और आशीर्वाद भी लिया था ।
शरीर त्यागने से 3 दिन पहले ही आचार्य श्री विद्या सागर ने आचार्य पद का त्याग कर दिया था और 3 दिन का उपवास धारण कर अखंड मौन ले लिया था। जिसके बाद उन्होंने प्राण त्याग दिए। इसके पहले 6 फरवरी को उन्होंने निर्यापक श्रमण मुनिश्री योग सागर जी से बात की और संघ से संबंधित कार्यों से निवृत्ति ले ली थी और उसी दिन आचार्य पद का त्याग कर दिया था।