नमस्कार मैं जुगल गांधी उम्मीद है आप सब सकुशल होंगे ,हालांकि आज के दौर में लगातार अपराध बढ़ रहे है इसलिए हर मां बाप के मन में अपने बच्चो के प्रति एक भय बना रहता क्युकी आज अधिकांश बच्चे अपने परिवार से दूर या तो नौकरी कर रहे है या पढ़ाई के लिए बाहर गए हुए है ऐसे में उनकी चिंता स्वाभाविक है , हम एक अपराध की सीरीज शुरू कर रहे है जिसका उद्देश्य आज के इस वातावरण में अभिभावकों सहित बच्चो को भी जागरूक रहने की आवयश्कता नजर आती है आज इसी कड़ी में एक ऐसी स्टोरी को लेकर आपके बीच आया हु वह सुनकर आपके भी होश फाख्ता हो जायेंगे ,
अपराध की दुनियां में आज बात करेंगे देश के सबसे बड़े सेक्स स्कैंडल की , जिसमे करीब सौ स्कूल और कॉलेज की लडकियो के साथ न सिर्फ सामूहिक दुष्कर्म किया गया बल्कि उनकी अश्लील फोटो खींच कर रख लिए गए ताकि वह अपना मुंह बन्द रखे , इतना ही नहीं आरोपियों ने उन फंसी हुई लडकियो को अपनी अन्य सेहलियो को भी लाने के लिए दबाव बनाया जिससे यह आंकड़ा सौ से पार हो गया ,सबसे बड़ी बात थी इसमें अच्छे घरों की लडकिया भी इनके चंगुल में फंस चुकी थी आखिर एक दिन कुछ लड़कियों की नग्न तस्वीर लीक हो गई , जब वहा एक अखबार यह खबर छपी तो पूरे क्षेत्र में हड़कंप मच गया । आज अपराध की इस पहली कड़ी अजमेर ब्लैकमेल कांड की सिलसिलेवार पूरी वारदात विस्तार से बताते है ,
यह घटना अप्रैल मई 1992 की है जब राजस्थान के अजमेर में एक अखबार में देश के सबसे बड़े सेक्स स्कैंडल की खबर छपी जिससे पूरे देश में हड़कंप मच गया , मामला बड़ा था इसमें अच्छे घरों की स्कूल और कॉलेजों में पढ़ने वाली करीब सौ से ज्यादा लडकियो के साथ अलग अलग होटल्स और फार्म हाउस में बहला फुसला कर पार्टी के नाम बुलाकर उनके साथ दुष्कर्म किया गया , कई लडकियो के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया और उनकी अश्लील फोटो खींच कर उन्हे ब्लैकमेल किया जाता रहा , उन्ही लडकियो को अपनी सेहलियों को भी लाने के लिए दबाव बनाया गया जिससे सैकड़ों लडकिया उनके जाल में फंसती चली गई ।
यह घटना राजस्थान के अजमेर की है , पूरे प्रदेश को शर्मसार करने वाली इस सनसनीखेज कहानी की शुरुआत साल 1992 के अप्रैल-मई महीने में हुई थी. उस समय आज की तरह सोशल मीडिया नहीं था. लेकिन फोटोग्राफी शुरू हो चुकी थी. अजमेर के एक नामी गर्ल्स कॉलेज की हाई प्रोफाइल छात्राओं की न्यूड तस्वीरें अचानक से शहर में सर्कुलेट होने लगी.
जिसके बाद यह मामला सुर्खियों में आया , मामले की गंभीरता को देखते हुए तात्कालिक मुख्यमंत्री भैरो सिंह शेखावत ने इसकी जांच सीआईडी सीबी को सौंपी और पुलिस में मामला दर्ज कर जांच शुरू की , पुलिस ने लैब संचालक को हिरासत में लेकर सारे फोटो नेगेटिव अपने कब्जे में लिए , जिसे देखकर पुलिस के भी होश उड़ गए , लेकिन कोई भी लड़की सामने आकर अपने बयान देने की हिम्मत नही कर रही थी क्योंकि एक तो बदनामी दूसरा आरोपी काफी रसूखदार बताए जा रहे थे , इस घटना के बाद कई लडकियो ने तो आत्महत्या तक कर ली थी और कई लडकिया शहर छोड़ गई , आखिर पुलिस ने फोटो के आधार पर कई लडकियो से संपर्क कर उन्हे बयान देने के लिए राजी कर मामला दर्ज किया ।
पुलिस ने सबसे पहले उस कलर लैब के संचालक को गिरफ्तार कर सख्ती से पूछताछ की तो पुलिस जांच में सामने आया की इस कांड में यूथ कांग्रेस के तत्कालीन उपाध्यक्ष ,नफीस चिश्ती , ज्वाइंट सेक्रेटरी अनवर सहित एक बड़ा गिरोह शामिल इस रैकेट में शामिल था ।
अजमेर पुलिस में जिला एवं सत्र न्यायालय में 30 नवंबर 1992 को पहली चार्जशीट पेश की जिसमें 12 आरोपियों कैलाश सोनी , हरीश तोलानी , फारुख चिश्ती , इशरत अली , मोइजुल्लाह ,परवेज अंसारी , नसीम , पुरषोतम, महेश लुधानी , अनवर चिश्ती , शमसू और जहूर चिश्ती के खिलाफ आरोप प्रमाणित बताए गए , इसके बाद चार अलग-अलग चार्जशीट चार आरोपियों के खिलाफ पेश की , उसके बाद पुलिस में छ अन्य आरोपियों के खिलाफ 4 और चार्जशीट पेश की , यही वजह रही की अलग अलग समय में हुई आरोपियों की गिरफ्तारी के साथ दस अलग अलग चार्जशीट हुई और हर चार्ज शीट के बाद नए सिरे से ट्रायल किया गया जिससे गवाहों को एक बयान के कई कई बार बुलाना पड़ा जिससे फैसला आने में 32 साल लग गए ।
इस मुक़दमे के तहत पहले आठ लोगों को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई। हालाँकि, उनमें से चार को बाद में 2001 में राजस्थान उच्च न्यायालय ने बरी कर दिया था। 2007 में अजमेर में एक फास्ट ट्रैक कोर्ट ने फ़ारूक चिश्ती को दोषी ठहराया, लेकिन 2013 में उच्च न्यायालय ने उसे रिहा कर दिया। इसके अलावा इशरत अली ,अनवर चिश्ती , मोई जुल्लाह पुत्तन इलहाबादी , शमसूदीन उर्फ माराडोना की उम्रकैद की सजा को सुप्रीम कोर्ट ने दस साल कर दी थी जो सभी रिहा हो चुके है वही पुरषोत्तम उर्फ बबली ने 1994 में आत्महत्या कर ली थी । दो आरोपियों के खिलाफ कुकर्म का भी केस चला ,जिसमे एक सजा भुगत रहा है और एक आरोपी अंडर ट्रायल है जबकि एक आरोपी अलमास अभी भी फरार चल रहा है जिसके खिलाफ रेडकोर्नर नोटिस जारी किया हुआ है ।
अब अन्य छह दोषियों के खिलाफ अजमेर की विशेष न्यायालय पोक्सो कोर्ट संख्या 2 में उम्रकैद की सजा सुनाई है साथ ही पांच पांच साल की सजा सुनाई है । कोर्ट ने दोषी नफीस चिश्ती ,नसीम उर्फ टार्जन,सलीम चिश्ती ,इकबाल भाटी ,सोहिल गनी और सैयद जमीर हुसैन को दोषी मानते हुए सजा का ऐलान किया है ।
इस पूरे घटनाक्रम में पुलिस रिकॉर्ड में 30 पीड़ित महिलाए दर्ज की गई थी ,लेकिन 32साल में पीड़िताये कमजोर पड़ती गई , सिर्फ तीन पिड़िताए बयान पर आखिर तक टिकी रही जिनका कहना था इन दरिंदो को फांसी की सजा मिलनी चाहिए थी।
इस पूरे घटनाक्रम के बाद यह भी सोचने की बात है यह घटना उस दौर की है जब सोशल मीडिया नही था तब अगर ऐसा रैकेट सक्रिय था तो आज इस डिजिटल युग में तो और भी चौकन्ना रहने की आवयश्कता है , इसलिए सावधान रहे एलर्ट रहे क्योंकि जमाना खराब है ।