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कोटपुतली चेतना रेस्क्यू ऑपरेशन” की नाकामी पर उठे सवाल, इंसानियत, सिस्टम और सत्ता की लापरवाही बनी जानलेवा…

इस कड़कती ठंड में पिछले दस दिनों से एक मासूम जिंदगी के अंधेरे में बोरवेल में फंसी तड़प रही है पता नही वह जिंदा भी है या नही जब आप औऱ हम सर्दी में चार चार कपड़े अपने आप को सर्दी से बचाने के लिए पहन रहे है सुबह शाम नाश्ता ओर खाना खा रहे है ऐसे में उस नन्ही जान का अंदाजा लगाया जा सकता बोरवेल में फंसी पांच साल की चेतना जो दस दिन से उस बोरवेल में फंसी है लेकिन ररेस्क्यु टीम अब तक उसे निकालने में नाकाम रहा , भगवान करे वह सकुशल निकल आये अगर ऐसा नही हुआ तो इस क्रूर मौत का जिम्मेदार कौन माना जायेगा , क्या कसूर था उस बच्ची का जो घर के पास खेलते खेलते उसमें जा गिरी , उस मां के कलेजे से पूछिए की उस पर क्या बीत रही है रो रो कर बुरा हाल है बस यही कहती है मेरी बच्ची को बचा लीजिए , वह कहती है अगर यह कलक्टर की या किसी नेता की बच्ची होती तो सरकारी सिस्टम की कार्यशैली कुछ और होती । कोटपूतली जिला कलक्टर भी एक महिला है लेकिन उनसे भी सवाल बनाता है मेडम क्या इस ररेस्क्यु मे इतना समय क्यो लगा ,क्या मोनेटरिंग की कमी रही क्या सही दिशा में सही समय पर निर्णय लेने में देरी हुई , इसमें आपकी बड़ी जिम्मेदारी बनती है अगर बच्ची जिंदा नही निकल पाई , तो किसकी जिम्मेदारी जवाब आपको भी देना होगा ।

एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमो ने भले ही अपने सार्थक प्रयास किये हो लेकिन कही न कही इसमें मोनेटरिंग की लापरवाही रही
यह एक ऐसी त्रासदी, जिसने चेतना को मौत के नजदीक पहुंचा दिया है ,

अब चेतना के बाहर निकलने के बाद जिंदा निकली तो वाहवाही लेने और जिंदा नही निकल पाई तो अफसोस करने वालो की लाइन लगेगी , कही विपक्ष सरकार को घेरने का काम करेगा , सरकार जॉच कमेटी बनाएगी , नए नियम कानून बनाये जाएंगे , लेकिन हर बार ऐसा ही क्यों होता है जब कोई बड़ा हादसा होता है तो ही सरकार और सिस्टम की नींद खुलती है , हमने पहले भी देखा दिल्ली में यूपीएससी की तैयारी करने वाले एक अंडर ग्राउंड में चल रहे कोचिंग सेंटर में पानी भर जाने से हुई छात्रों की मौत हुई तब पूरे देश मे अंडर ग्राउंड में चल रही कमर्शियल गतिविधियों को बंद कराने के नोटिस जारी किए गए , लेकिन यह प्रक्रिया भी कुछ दिन बाद ठंडे बस्ते में चली जाती है ऐसा ही हर बार होता है ।

हमने सुना है जयपुर कलक्टर डॉ जितेंद्र कुमार सोनी ने कोटपूतली की इस घटना के बाद तत्काल अधिकारियों की मीटिंग ली और उनके क्षेत्रो में खुले पड़े बोरवेल की जानकारी जुटाई जिसमे करीब 740 ऐसे खुले बोरवेल मिले जिन्हें तुरंत बंद कराने के आदेश दिए , ताकि रोज सांमने आने वाली इस तरह की घटनाओं पर अंकुश लग सके , सभी जिला कलक्टर को इस तरह के प्रयास करने चाहिए वही शासन सचिव सुधांशु पंत ने पूरे प्रदेश में खुले पड़े बोरवेल को बंद कराने के निर्देष जारी कर दिए है यह सब समय के साथ करने की आवयश्कता है ताकि फिर कोई आर्यन या चेतना की तरह बोरवेल में न गिर पाए ।

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