करीब सात साल पहले चूरू के मालासर में गैंगस्टर आनंद पाल को एसओजी और पुलिस टीम ने एनकाउंटर में ढेर कर दिया था , एनकाउंटर की कार्यवाही से पूर्व जो सामने आया की एस ओ जी की टीम को आनंदपाल के मालासर में होने की जानकारी मिलने के बाद उसके मकान को चारो तरफ से घेर लिया गया था और उसे सिरेन्डर करने के लिए कहा गया लेकिन उसके द्वारा छत से पुलिस पर फायरिंग के आरोप लगे और पुलिस की जवाबी कार्यवाही में आनंदपाल ढेर हो गया , जैसा पुलिस द्वारा मीडिया में दिए गए बयानों में सामने आया , लेकिन सात साल बाद अब इस मामले में नया मोड़ आ गया है इस मामले को लेकर आनंद पाल के परिजनों द्वारा आनंदपाल के एनकाउंटर को फर्जी बताते हुए कानूनी लड़ाई लड़ी जिसमे आनंदपाल के दो बार हुए पोस्टमार्टम पर संशय जताया गया साथ ही एफएसएल रिपोर्ट में आनंदपाल को करीब चार से छह फीट नजदीक से गोली लगना पाया गया , जोधपुर की एसीजेएम सीबीआई केसेज कोर्ट ने इस मामले की सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट की कहानी को संदेहास्पद मानते हुए इसे नकार दिया है.इतना ही नहीं कोर्ट ने इस मामले में प्रसंज्ञान लेते हुए चूरू के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक राहुल बारहट समेत दो डीएसपी और चार अन्य पुलिसकर्मियों पर हत्या का केस चलाने को कहा है. जानते है सिलसिले वार पूरी कहानी पहले आपको बताते आनंदपाल कोन था कैसे कुख्यात गैंगस्टर बना…
एसओजी की टीम के तत्कालीन आईजी दिनेश एमएन के अनुसार, आनंदपाल व बलवीर बानोड़ा पर 2006 में गोपाल फोगाट और जीवनराम गोधारा के हत्या के आरोप थे। आनंदपाल जीवनराम के मर्डर के बाद फरार हो गया था।यही नहीं, आनंदपाल ने अपने साथियों के साथ मिलकर नानूराम नाम के व्यक्ति की हत्या कर दी थी। शव को एसिड से जला दिया था। मर्डर के करीब 6 साल बाद 2012 में आनंदपाल को गिरफ्तार किया था।
आईपीएस दिनेश एमएन के मुताबिक, जनवरी 2014 में आनंदपाल के किसी साथी ने सीकर जेल में बंद राजू ठेहट पर फायरिंग कर दी थी। गोली उसके कंधे में लगी। बस, इस घटना के बाद राजू ठेहट ने बदला लेने का मन बना लिया था।उस वक्त आनंदपाल की गैंग बीकानेर जेल में बंद थी। राजू ठेहट गैंग के दो शूटर हथियार लेकर पहुंचे और जेल में उन्होंने आनंदपाल गैंग पर फायरिंग कर दी। आनंदपाल और बलवीर को एक-एक गोली लगी।हमले के बाद आनंदपाल को अजमेर की हाई सिक्योरिटी जेल में शिफ्ट किया गया था। तब आनंदपाल गैंग का मकसद राजू ठेहट से बदला लेना और गवाहों को मारकर केस से बरी होना था।
आनंदपाल 3 सितंबर 2015 को नानूराम मर्डर केस से बरी हो गया था। खुशी में उसने गाड़ी के ड्राइवर और शक्ति सिंह नाम के कमांडो को छोड़कर सबको मिठाई बांटी।मिठाई में जहर था। सब बेहोश हो गए। दो गाड़ियों में आए आनंदपाल की गैंग के लोगों ने फायरिंग शुरू कर दी। शक्ति आनंदपाल गैंग के लिए काम करता था।एसओजी ने आनंदपाल को पकड़ने का लक्ष्य बनाया। उसके कई साथियों को गिरफ्तार कर लिया। 7-8 महीने में कई संपत्ति जब्त कर ली थी।इस बीच सूचना मिली कि आनंदपाल गैंग के लोगों को फिल्म देखने का शौक है। सिनेमाहॉल के बाहर पुलिस फोर्स लगा दी। एक फोन कॉल से आनंदपाल के भाई की जानकारी मिली। पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में दोनों भाइयों विक्की उर्फ रूपेश और देवेंद्र उर्फ गट्टू ने आनंदपाल की लोकेशन के बारे में बताया। 24 जून 2017 को टीम गट्टू की बताई लोकेशन चूरू के मालासर गांव पहुंचीआनंदपाल ने घर की छत से फायरिंग कर दी। करीब 45 मिनट एनकाउंटर चला। कमांडो सोहन सिंह और आनंदपाल के बीच आमने-सामने फायरिंग हुई। इसमें आनंदपाल मारा गया। गोली लगने के कारण सोहन 4 महीने तक अस्पताल में रहे।
अप्रैल 2021 में आनंदपाल एनकाउंटर केस में शामिल 9 पुलिसकर्मियों को तत्कालीन गहलोत सरकार ने विशेष पदोन्नति दी थी। इसमें आनंदपाल सिंह को गोली मारने वाले स्पेशल कमांडो सोहन सिंह, तत्कालीन चूरू एसपी राहुल बारठ, एसओजी में एडिशनल एसपी करण शर्मा, एडिशनल एसपी विद्याप्रकाश चौधरी, डीएसपी सूर्यवीर सिंह राठौड़, आरएसी के हेड कॉन्स्टेबल कैलाश और चूरू में पुलिस कॉन्टेबल हरमपाल शामिल थे।
24 जून 2017 को चूरू के मालासर गांव में एसओजी ने आनंदपाल का एनकाउंटर किया था। एनकाउंटर के बाद से ही इस पर सवाल उठ रहे थे। एनकाउंटर को लेकर सीबीआई ने 2020 में क्लोजर रिपोर्ट पेश की थी, जिसे आनंदपाल की पत्नी राजकंवर ने चैलेंज किया। एसीजेएम कोर्ट में 2020 में प्रोटेस्ट पिटिशन दायर की। कोर्ट में चार साल सुनवाई के दौरान दो डॉक्टर, राजकंवर और आनंदपाल के भाई मंजीत की गवाही हुई। उस आधार पर प्रसंज्ञान लिया गया।राजकंवर के वकील भंवर सिंह और त्रिभुवन सिंह राठौड़ ने बताया- यह एनकाउंटर नहीं था और छत पर आनंदपाल को नजदीक से एक के बाद एक गोली मारी गई। गोली बहुत नजदीक से थी, इसकी पुष्टि डॉक्टर ने भी की है। कोर्ट में कई गवाहों को पेश किया गया। उनके आधार पर एसीजेएम कोर्ट ने पुलिस अधिकारियों के खिलाफ प्रसंज्ञान लिया है।
प्रोटेस्ट याचिका पर प्रसंज्ञान आदेश पारित करते हुए पीठासीन अधिकारी युवराज सिंह ने चूरू के तत्कालीन एसपी बारहठ सहित कुचामन सिटी के तत्कालीन वृत्त अधिकारी विद्या प्रकाश, पुलिस निरीक्षक सूर्यवीर सिंह, हेड कांस्टेबल कैलाश चंद्र, कांस्टेबल सोहन सिंह, धर्मपाल एवं धर्मवीर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 148, 302, 326, 325, 324 सहपठित धारा 149 के तहत अपराध का प्रसंज्ञान लिया।