कारगिल युद्ध को आज 25 साल पुरे हो गये है , कारगिल युद्ध साल 1999 में मई और जून के महीने में हुआ था. इस साल कारगिल युद्ध को हुए 25 साल पूरे हो गए हैं. हर साल कारगिल दिवस 26 जुलाई को मनाया जाता है. इस लड़ाई में भारत के 527 जवान शहीद हो गए थे । इस दिन देश के नायकों की बहादुरी और वीरता को श्रद्धांजलि देने के लिए मनाया जाता है.
कारगिल युद्ध से कुछ समय पहले 31 मार्च 1999. पाकिस्तान के वजीर-ए-आजम नवाज़ शरीफ़ भारत से दोस्ती की कसमें खा रहे थे. भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का इस्तकबाल हो रहा था. 21 फरवरी के रोज़ जब लाहौर में ऐतिहासिक लाहौर डिक्लेरेशन पर दस्तखत हो रहे थे. पाकिस्तानी फौज कारगिल की पीक्स पर बंकर बनाने में लगी थी.
उस समय दुश्मन की तादात और उसकी तैयारी के विषय में सटीक सूचना का अभाव था। साथ ही हाई एल्टीट्यूड की लड़ाई लड़ने के लिए जरूरी साजो समान और दूसरे सैनिक दस्तों, विशेषकर आर्टिलरी का बेहद अभाव था। यही कारण था कि हर दिन हमारा नुकसान हो रहा था। परंतु 18 ग्रेनेडियर के जांबाजों ने इन सभी विषम परिस्थितियों के बावजूद भी अपने हौसलों को मजबूत रखा और अपने प्राणों की परवाह किए बिना दुश्मन पर लगातार हमले करते रहे। 22 मई को शुरू हुआ यह हमला 14 जून तक चला और इन 24 दिनों में हम सभी कठिन व दुर्गम चढ़ाई, खराब मौसम और दुश्मन की लगातार हो रही भीषण गोलाबारी का सामना करते रहे।
1999 में पाकिस्तानी की तरफ से आए घुसपैठी आतंकी और पाकिस्तानी सैनिक चोरी-छिपे कारगिल की पहाड़ियों में घुस चुके थे और उन्होंने कारगिल की चोटियों पर अपना कब्जा जमाने की कोशिश की थी. जिसके बाद भारतीय सेना ने पाकिस्तान के खिलाफ ‘ऑपरेशन विजय’ की शुरुआत की. इस दौरान हजारों घुसपैठियों और पाकिस्तानी सैनिकों को मौत के घाट उतारा गया. मई में शुरू हुए इस युद्ध का अंत 26 जुलाई को हुआ. इस दिन कारगिल की पहाड़ियों को घुसपैठियों के चंगुल से पूरी तरह से आजाद करवाया गया. तब से आज तक 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है. आपको बता दें कि इस युद्ध में भारत के 527 से ज्यादा जवान शहीद हुए थे.
करगिल युद्ध के दौरान भारतीय सेना ने पाकिस्तान की एक पोस्ट को कुछ इस तरह तबाह किया था कि वह घटना इतिहास बन गई. भारतीय सेना की 326 लाइट रेजिमेंट ने पाकिस्तानी बंकरों को तबाह करने का ऐसा कारनामा किया था जो इतिहास में कभी नहीं हुआ था.
इतिहास में पहली बार जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल से जमीन से जमीन पर मार की. वह मिसाइल ‘इग्ला वन एम’ थी. उसके बाद जवानों का दिल खुल गया, कि अब यह हो सकता है. पहले नाइट में फायर नहीं हो सकता था, बाद में उन्होंने रात में भी फायर करना शुरू कर दिया. 326 लाइट रेजिमेंट ऐसी है कि उसमें अनहोनी कहानी होती रहती है. उन्होंने नाइट में भी फायर करके कर दिखाया.
जैसे ही टाइगर हिल पर हमारे जवानों ने विजय पताका फहराई। उधर दूसरी तरफ पाकिस्तान की सेना में खलबली मच गई। पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ युद्ध विराम की गुहार लगाने अमेरिका के राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के पास भागे। परंतु हमारे तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेई ने साफ कह दिया कि जब तक पाकिस्तान के आखिरी घुसपैठी को हम भारत की सीमा से नहीं खदेड देते युद्ध विराम का सवाल ही नहीं उठता।
कारगिल के इस युद्ध में भारतीय सशस्त्र सेनाओं ने 527 रणबाकुरों को अपने प्राणों की आहूति देनी पड़ी। आज इस कारगिल विजय दिवस पर शहीदों सलाम करता है हिंदुस्तान…