राजस्थान विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने राज्य सरकार के एक वर्ष के कार्यकाल के जश्न में शामिल होने आये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जयपुर यात्रा को राजनीतिक ड्रामा बताते हुए कहा कि राज्य सरकार द्वारा इवेंट एंजेसियों के सहारे किये जाने वाले आयोजनों से प्रदेश का भला होने वाला नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी की राजनीतिक यात्रा के दौरान सरकारी मशीनरी का जमकर दुरूपयोग हुआ, सरकारी वाहनों, कर्मचारियों और बच्चों तक पर दवाब बनाकर भीड जुटाने का प्रयास किया गया लेकिन प्रदेश के नागरिकों ने इस आयोजन से दूरी बनाकर बड़ा संदेश दिया।
प्रतिपक्ष के नेता जूली ने कहा कि मोदी जी देश के प्रधानमंत्री हैं और सार्वजनिक मंच से झूंठ बोलते हैं कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने ईआरसीपी को अटकाने का काम किया, जबकि सच्चाई तो यह है कि दो-दो बार प्रदेश से 25-25 सांसद जिताने और देश का जलशक्ति मंत्री राजस्थान से होने के बावजूद भारतीय जनता पार्टी की केंद्र सरकार ने प्रदेश के साथ अन्याय किया और इस महत्वा कांक्षी परियोजना को अपने राजनीतिक स्वाार्थ पूर्ति के लिये अटकाये और लटकाये रखा, जबकि खुद प्रधानमंत्री मोदी ने दो बार अजमेर और जयपुर में ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना की बात कह चुके थे।
नेता प्रतिपक्ष जूली ने कहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने राजस्थान विधानसभा के सदन में ईआरसीपी को राष्ट्रीय महत्व की परियोजना घोषित करने का केन्द्र सरकार से आग्रह किया था, लेकिन केन्द्र की मोदी सरकार ने तत्कालीन समय में विधानसभा चुनाव में राजनैतिक लाभ लेने के लिए अपने इसे अटकाये रखा।ये चुनाव हार गए और इस परियोजना को 5 साल अटकाने, लटकाने व भटकाने का कार्य प्रधानमंत्री मोदी, राजस्थान से केंद्र में तत्कालीन जलशक्ति मंत्री ने किया। केंद्र व वर्तमान राजस्थान सरकार ने इस परियोजना पर एक पैसा खर्च नहीं किया जबकि इसके नाम पर जनता के टैक्स के किये जा रहें इवेंट पर करोड़ों रूपये बहाये जा रहे है।अब एक साल से एमओयू-एमओयू खेल रहें है किन्तु जनता के सामने इसे रखने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहें क्योंकि इनकी मंशा शुरू से इस योजना के प्रति ठीक नहीं रही है।
नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस शासन में ईआरसीपी प्रोजेक्ट के लिए बजट में दस हजार करोड़ रुपये आवंटित किये गये थे। कांग्रेस शासन में ही ईआरसीपी निगम का गठन किया गया था। उस समय ही हाड़ौती की कालीसिंध नदी पर नवनेरा बांध बनकर तैयार हुआ था। इसके अलावा इस प्रोजेक्ट में ईसरदा बांध का भी नव-निर्माण कर छह शहरों और 1250 गांवों की पेयजल समस्या का निदान किया गया, इसलिए कांग्रेस ने तो ईआरसीपी प्रोजेक्ट को आगे बढाने का काम किया है।
जूली ने कहा कि कांग्रेस पार्टी का शुरू से स्पष्ट मत है कि ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना घोषित किये जाने पर ही राजस्थान को इस परियोजना का व्यापक लाभ प्राप्त हो सकेगा। लेकिन वर्तमान में राज्य की भाजपा सरकार पीकेसी - ईआरसीपी प्रोजेक्ट के महत्व को समझ नहीं रही है या फिर मुख्यमंत्री केन्द्र सरकार के दबाव में हैं।
नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने राजस्थान विधानसभा में अपने भाषण के दौरान भी एमओयू का खुलासा करने से इनकार कर दिया था। मुख्यमंत्री का यह रवैया अलोकतांत्रिक था क्योंकि राज्य का हित सर्वोपरि होता है और प्रदेश को एमओयू के बारे में जानने का अधिकार है। जूली ने कहा कि मुख्यमंत्री का रवैया भी कई सवाल खड़े करता है कि वे प्रदेश की जनता से आखिर क्या छिपाना चाहते हैं। जूली ने मांग की है कि राज्य सरकार को पड़ोसी राज्यों के साथ इस प्रोजेक्ट को लेकर किये गये समझौते का खुलासा भी करना चाहिए।
प्रतिपक्ष के नेता जूली ने कहा कि देश में जो अन्य सोलह नदी जल राष्ट्रीय परियोजना चल रही हैं, उसी श्रेणी में इसे शामिल करने से कम दर्जे की कोई भी घोषणा राजस्थान के हितों के अनुकूल नहीं है, लेकिन केन्द्र सरकार इसे राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने से कतरा रही है। उन्हों ने कहा कि मोदी जी कांग्रेस पर झूंठा आरोप लगाने के बजाय पीकेसी-ईआरसीपी को राष्ट्रीिय परियोजना घोषित करते तो प्रदेश का अधिक भला होता।
जूली ने कहा कि एमओयू के सार्वजनिक होने से ही यह स्पष्ट हो सकेगा कि राष्ट्रीय परियोजना के लिए निर्धारित मानदंडों के अनुरूप इस प्रोजेक्ट का समझौता हुआ है अथवा नहीं। क्योंकि राज्य सरकार इस मुद्दे पर खुलकर कुछ नहीं बता रही है। जबकि कांग्रेस आरंभ से यह मांग करती आयी है कि देश की अन्य राष्ट्रीय परियोजनाओं की भांति ही इस प्रोजेक्ट को लागू किया जाये।
नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि ईआरसीपी प्रोजेक्ट की अवधारणा नदियों के अतिरिक्त जल पर निर्भर है। इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत राजस्थान को पानी 50 प्रतिशत निर्भरता पर मिलेगा या 75 प्रतिशत निर्भरता पर हासिल होगा। इस पहेली का खुलासा राज्य हित में होना नितांत आवश्यक है। राजस्थान को लाभ तभी होगा जब 50 प्रतिशत जल की निर्भरता पर इसे लागू किया जाये।
जूली ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार कई साल तक ईआरसीपी में 75 प्रतिशत जल की निर्भरता लागू करने पर अड़ी हुई थी। इस स्थिति के बने रहने पर राजस्थान में 2.80 लाख हेक्टेयर भूमि सिंचित होना नामुमकिन था। यह 50 प्रतिशत जल की उपलब्धता पर ही संभव है। साथ ही पुरानी डीपीआर में राजस्थान को 3510 एमसीएम पानी देने की बात कही गयी थी। मध्य प्रदेश और राजस्थान में पानी का बंटवारा होने पर यह किस तरह क्रियान्वित होगा। इसका खुलासा होना अनिवार्य है।
नेता प्रतिपक्ष जूली ने कहा कि सन् 2017 में घोषित ईआरसीपी प्रोजेक्ट सन् 2023 में पूरा हो जाना चाहिए था लेकिन केन्द्र सरकार की नीयत इस प्रोजेक्ट पर साफ़ नहीं है। इसलिए इतने महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट में निरंतर देरी हुई। जूली ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसका शिलान्यास किया है, तो राज्य के दूरगामी हित के मद्देनजर हम इसका विरोध नहीं कर रहे हैं, लेकिन राजस्थान को यह जानने का अधिकार है कि इस प्रोजेक्ट का जो एमओयू किया गया है। उसकी हकीकत क्या है, वह प्रदेश हित में है भी या नहीं।