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जज के खिलाफ महाभियोग , क्या है मामला…

पिछले दिनों इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज द्वारा विश्व हिंदू परिषद के एक कार्यक्रम में दिए गए भाषण के बाद जज शेखर कुमार यादव विवादों में है विपक्षी सांसदों ने जस्टिस यादव के खिलाफ महाभियोग लाने की तैयारी शुरू कर दी है इस प्रस्ताव पर 36 सांसदों ने हस्ताक्षर भी कर दिए है आज इस खबर में आपको विस्तार से बताएंगे क्या है महाभियोग और क्या है इसकी प्रक्रिया..उससे पहले आपको बता दे इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज का क्या है ऐसा बयान जिस पर बवाल मचा हुआ है ।

दरअसल विश्व हिंदू परिषद के एक कार्यक्रम में इलाहाबाद हाईकोर्ट जज शेखर कुमार यादव के भाषण का एक कथित वीडियो वायरल हुआ जिसमें वह अपने संबोधन में कह रहे है यह हिंदुस्तान है , देश यहां रहने वाले बहुसंख्यकों की इच्छा के अनुसार चलेगा ।

जज के कथित इस बयान के बाद देश में नया विवाद खड़ा हो गया. इस विवाद की गूंज सेअब संसद भी अछूता नहीं रहा. संसद में विपक्षी दल जस्टिस शेखर कुमार यादव के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी में है. लेकिन सवाल उठता है कि क्या महाभियोग से जज को हटाया जा सकता है. इस खबर में हम इससे जुड़े तमाम सवालों के जवाब तो टटोलने की कोशिश करेंगे.

इस मामले में अबतक राज्यसभा के 30 से अधिक सदस्यों के हस्ताक्षर लिए जा चुके हैं… प्रस्ताव से जुड़ा नोटिस 100 लोकसभा सदस्यों या 50 राज्यसभा सदस्यों द्वारा पेश किया जाना चाहिए. लेकिन महाभियोग का रास्ता इतना भी आसान नहीं है. और अगर इतिहास के पन्ने पलटें तो इतिहास भी इस बात का गवाह है कि आज तक किसी भी जज के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है.

नब्बे की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट के जज वी रामास्वामी के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों पर महाभियोग लाया गया था लेकिन यह लोकसभा में पास नहीं हो पाया था , इसके बाद कोलकाता हाई कोर्ट के जज सौमित्र सेन के खिलाफ पैसों को लेकर ये प्रस्ताव आया, लेकिन उन्होंने पहले ही इस्तीफा दे दिया. फिर साल 2018 में तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा पर महाभियोग का प्रस्ताव लाया गया. उनपर विपक्षी दलों ने दुर्व्यवहार का आरोप लगाया. लेकिन तत्कालीन राज्यसभा सभापति ने उसे खारिज कर दिया…

आपको बता दे हाई कोर्ट जज के खिलाफ महाभियोग लाया जा सकता है , संविधान के अनुच्छेद 124(4) और अनुच्छेद 217 के तहत, जजों को पद से हटाने की प्रकिया बताई गई है. हालंकि यह प्रोसेस काफी मुश्किल है लेकिन यह फिर भी संभव है. अगर जज पर गलत व्यवहार या क्षमता की कमी जैसे आरोप लगें तो महाभियोग जैसा कदम उठाया जा सकता है. हाई कोर्ट के किसी भी जज को हटाने के लिए प्रस्ताव को संसद के हर सदन यानी लोकसभा और राज्यसभा से विशेष बहुमत से पास होना चाहिए. विशेष बहुमत वास्तव में उस सदन की कुल सदस्यता का बहुमत और उस सदन के उपस्थित और मतदान करने वाले कम से कम दो-तिहाई सदस्यों का बहुमत होना होता है.

विवाद बयान को लेकर विपक्षी सभी सांसद इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज शेखर कुमार यादव के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव का नोटिस देने की तैयारी कर रहे हैं इसके लिए संसद के हस्ताक्षर दिए जा रहे हैं राज्यसभा सांसद और वकील कपिल से बल्ले प्रस्ताव पर अलग-अलग पार्टियों से 36 विपक्षी संसाधन के हस्ताक्षर करवाए कई और सांसदों से संपर्क किया जा रहा है सोशल मीडिया पर जस्टिस शेखर यादव का वीडियो वायरल होने के बाद सुप्रीम कोर्ट पहले ही संज्ञा ले चुका है हेलो नमस्ते भाई उठ गए उठ गए थे चलो ठीक है ।

एक बार फिर आपको बता दे जज साहेब का ऐसा वो बयान क्या है जिस पर विपक्ष में हंगामा बरपा हुआ है ,जस्टिस शेखर यादव को लेकर इतना बवाल मचा है. दरअसल विश्व हिन्दू परिषद के एक कार्यक्रम में जस्टिस शेखर यादव का जो बयान वायरल हुआ उसमें उन्होंने कहा कि एक से ज़्यादा पत्नी रखने, तीन तलाक़ और हलाला के लिए कोई बहाना नहीं है और अब ये प्रथाएं नहीं चलेंगी.जस्टिस यादव की इस भाषण से जुड़े वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए. इसके बाद उन्हें आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने अपने बयान में कहा, “जिस नारी को हमारे यहां देवी का दर्जा दिया जाता है, आप उसका निरादर नहीं कर सकते हैं. आप यह नहीं कह सकते हैं कि हमारे यहां तो चार पत्नियां रखने का अधिकार है, हमारे यहां तो हलाला का अधिकार है, हमारे यहां तो तीन तलाक़ बोलने का अधिकार है. ये सब नहीं चलने वाला है.

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अखबारों में रिपोर्ट छपने के बाद संज्ञान में लिया है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज शेखर कुमार यादव से पूरा ब्योरा मांगा है. दूसरी ओर जस्टिस यादव के बयान पर उठे विवाद को लेकर राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा है कि वो उनके खिलाफ महाभियोग लाएंगे.

देखते है विपक्ष द्वारा महाभियोग लाए जाने के प्रयास सफल हो पाते है या नहीं …

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