दौसा जिले में 3 दिन से बोरवेल में फंसे 5 साल के मासूम आर्यन की मौत हो गई है। आर्यन को करीब 57 घंटे बाद बुधवार रात 11:45 बजे बोरवेल से बाहर निकाला गया था। उसे एडवांस लाइफ सपोर्ट सिस्टम से लैस एम्बुलेंस से हॉस्पिटल ले जाया गया। जहां उसे मृत घोषित कर दिया। आर्यन को बचाने के लिए एक लंबी लड़ाई लड़ने के बावजूद वह बाहर तो निकला लेकिन जिंदा नहीं , आर्यन तो चला गया लेकिन उसकी मौत का जिम्मेदार कौन है यह सवाल खड़ा हो गया है ,आए दिन खुले पड़े बोरवैल ऐसी दुर्घटनाएं देखने को मिल जाती है जहां कई बच्चों की जान चली गई ।
यह घटना दौसा जिले के गांव कालीखाड़ की है जहां 5 साल का आर्यन खुले पड़े एक बोरवैल में गिर गया था तमाम कोशिशों के बावजूद भी उसे बचाया नहीं जा सका करीब 56 घंटे की मशक्कत के बाद उसे रात करीब 11 बजे निकाला गया लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी ।
मौत की खबर के बाद उसके मां बाप का रो रो कर बुरा हाल है ,पूरे गांव में मातम छाया हुआ है गुरुवार सुबह शव का पोस्टमार्टम करा कर परिजनों को सौंप दिया गया ।
गौरतलब है कि आर्यन को बचाने के लिए एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीम ने पूरी कोशिश की। पाइलिंग मशीन के जरिए बोरवेल से कुछ दूरी पर नया गड्ढा खोदा गया। खुदाई का काम पूरा होने के बाद गड्ढे की फिनिशिंग हुई और फिर एनडीआरएफ के जवानों को पीपी किट पहनाकर 150 फीट नीचे उतारा गया। जवानों ने आर्यन तक पहुंचने के लिए गड्ढे से बोरवेल तक एक टनल बनाई। पाइलिंग मशीन के द्वारा खुदाई के बाद कई प्रकार की परेशानियों का भी सामना भी करना पड़ा। हालांकि, पूरी सावधानी बरतने के बाद ही जवानों को नीचे उतारा गया। लेकिन आर्यन तब तक दम तोड चुका था ।
आर्यन की बोरवैल में गिरने से मौत का यह कोई पहला मामला नहीं है , राजस्थान समेत देश के विभिन्न हिस्सों में ऐसे हादसे बार-बार सामने आते हैं. लेकिन ये हादसे क्यों हो रहे हैं इस पर विचार क्यों नहीं होता , जब भी कोई घटना होती तब सरकार हो या प्रशासन तभी जागेंगे कुछ दिन तक इस पर नए नियमों के बनाने पर बात होगी लेकिन कुछ समय बाद फिर वही ढाक के तीन पात हो जाते हैं. नियम कायदे की बातें और आदेश दफ्तर में जमा हो जाते हैं. फिर नए हादसे के समय वे कागजों से बाहर आते हैं…बेहद अफसोस है सिस्टम की इस कार्यशैली पर …