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लोकसभा स्पीकर पद के लिए मोदी इसमे करेंगे खेल , नही कर पायेगी टीडीपी भी विरोध , जानते है क्यों है महत्वपूर्ण यह पद …

देश मे लोकसभा चुनावों के बाद एक बार फिर एनडीए की सरकार बन चुकी है , इसमे मुख्यरूप से टीडीपी और जेडीयू भी सहयोगी दल के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका में है , मंत्रिमंडल का भी बंटवारा हो चुका है और 18 जून से लोकसभा का पहला सत्र शुरू होना है , अब चर्चा यह है कि इस बार कोंन होगा लोकसभा अध्यक्ष , यह पद काफी महत्वपूर्ण माना जाता है इसलिए इस पद पर टीडीपी और जेडीयू भी निगाह बनाये हुए है , इस पद को क्यों पाना चाहते है सहयोगी दल इस पर भी बात करेंगे लेकिन अभी चर्चा यह भी है कि मोदी सरकार इस पद पर दग्गुबती पुरंदेश्वरी के नाम का एलान कर सकती है , पुरंदेश्वरी को दक्षिण की सुषमा स्वराज माना जाता है , यह मोदी का मास्टर स्ट्रोक है जिसका विरोध नायडू भी नही कर पाएंगे ।

पहले आपको पुरंदेश्वरी के बारे में बताते है वह कोंन है और नायडू क्यों इनका विरोध नही कर पाएंगे , पुरंदेश्वरी का जन्म आंध्र प्रदेश में 22 जनवरी 1959 को हुआ था , दग्गुबती पुरंदेश्वरी राज्‍य के पूर्व मुख्‍यमंत्री और अभिनेता रहे एनटी रामाराव (NTR) की दूसरे नंबर की बेटी हैं। राजनीति में डी. पुरंदेश्वरी दक्षिण की सुषमा स्‍वराज के नाम से चर्चित हैं। पुरंदेश्वरी ने ग्रेजुएशन करने के बाद जेमोलॉजी में डिप्‍लोमा भी किया। इसके बाद साल 1997 में हैदराबाद इंस्टीट्यूट ऑफ जेम्स एंड ज्वेलरी (Hyderabad Institute Of Gem And Jewellery) की स्‍थापना की।

अब आपको बताते है कि आखिर नायडू का इनसे क्या रिश्ता है चंद्रबाबू नायडू की शादी टीडीपी के संस्थापक एनटी रामाराव की बेटी नारा भुवनेश्वरी से हुई है। दग्गुबती पुरंदेश्वरी नायडू की पत्नी नारा भुवनेश्वरी की बहन हैं। पुरंदेश्वरी ने नायडू का उस वक्त समर्थन किया था, जब उनकी अपने ससुर एनटीआर को सत्ता से हटाकर खुद सीएम बनने के चलते आलोचना हो रही थी।

ऐसे में माना जा रहा है कि अगर भाजपा पुरंदेश्वरी को लोकसभा स्पीकर बनाती है तो नायडू भी इसका विरोध नही कर पाएंगे ।

अब बात करते है आखिर लोकसभा अध्यक्ष पद कितना महत्वपूर्ण है , क्या होती है इनके पास शक्तियां और कैसे चुने जाते है स्पीकर इन सब बातों को जानेंगे विस्तार से ।

हम आपको बताते है लोकसभा अध्यक्ष का चुनांव लोकसभा शुरू होने के साथ ही अनुच्छेद 93 के तहत सदन में साधारण बहुमत के साथ होता है , सदन भंग होने के साथ ही इनका भी कार्यकाल खत्म हो जाता है । स्तीफ़े या अविश्वास प्रस्ताव के जरिये यह पद छोड़ा जा सकता है , योग्यता की बात करे तो इसमे कोई भी सांसद बहुमत के आधार पर स्पीकर बनाया जा सकता है ।
स्पीकर की शक्तियों पर भी एक नजर डालते है , इनके द्वारा सदन का संचालन , नियमो की पालना और प्रक्रिया तय करता है , इसके अलावा विधेयक लाने जैसे सरकारी पीएम के परामर्श से कराने का इनका होता है , सदन में लोकसभा सदस्य द्वारा पूछे जाने वाले प्रश्न या चर्चा की अनुमति स्पीकर देता है , स्पीकर ही तय करता है कौनसा प्रश्न पूछने योग्य है । सदन रिकॉर्ड की गई टिप्पणियों को रखने और हटाने का निर्णय भी स्पीकर तय करता है ।

इसके अलावा लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को स्पीकर ही स्वीकार करता है हालांकि स्वीकार करना जरूरी है लेकिन इसे स्पीकर कुछ समय तक टाल सकता है ,
जब कभी किसी भी प्रस्ताव के पास करने में जब बराबर के मत पड़े तो स्पीकर को निर्णायक वोट यानी टेंडर वोट देने का अधिकार होता है । यह प्रक्रिया अनुच्छेद 100 के अंतर्गत आती है ।

इसके अलावा सबसे महत्वपूर्ण जो मुद्दा है जिसकी वजह से इस पद पर सहयोगी दलों की भी नजर है आखिर क्यों चाहते है टीडीपी और जेडीयू की लोकसभा स्पीकर उनका होना चाहिए , दरअसल स्पीकर की दलबदल मामले में भी निर्णायक भूमिका होती है ।
दल बदल के मामलों में सदस्य को अयोग्य ठहरने की स्पीकर की शक्ति सबसे अहम मानी जाती है , इसी वजह से गठबंधन सरकारों के दौर में पार्टियों में तोड़फोड़ या दल बदल के समय स्पीकर की भूमिका महत्वपूर्ण होती है ।

सुप्रीम कोर्ट के 1992 के निर्णय के अनुसार दल बदल मामले में स्पीकर का अंतिम आदेश ही न्यायिक समीक्षा के अधीन होगा , स्पीकर अंतिम आदेश देने में जल्दी या देरी सरकार के भविष्य के लिए निर्णायक बन जाता है , सत्तारूढ़ दल के सदस्य दल बदल करते हैं तो वह जल्दी योग्यता पर निर्णय कर सरकार का बहुमत सुरक्षित कर सकता है , यदि वह अयोग्य घोषित करने का निर्णय टालता है तो अल्पमत के कारण सरकार गिर सकती है या दूसरे पक्ष के पास बहुमत हो सकता है ।
हालांकि 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था कि स्पीकर की साधारण परिस्थितियों को छोड़ 3 महीने में योग्यता
याचिकाओं पर निर्णय करना होगा ।

बस यही कुछ कारण है कि हर सहयोगी दल सदन में अपनी पकड़ बनाये रखना है और विकट परिस्थितियों में लोकसभा स्पीकर का निर्णय उनके अनुकूल बना रहे ।

इस खबर में बस इतना ही दीजिये इजाजत नमस्कार

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