2014 और 2019 में एनडीए ने राजस्थान में 25 की 25 सीटों पर जीत हासिल की लेकिन इस बार भाजपा सिर्फ 14 सीटों पर ही जीत पाई , 11 सीटो के नुकसान की वजह तलाशी जा रही है जिसमे मुख्य रूप से चार पांच वजह जातिगत बड़े नेताओ की अनदेखी शायद भाजपा को भारी पड़ी ।
अभी तक जो तस्वीर सामने आ रही है उससे पता चलता है कि जाट ,गुर्जर , मीणा और राजपूत समाज भाजपा से खफा चल रहा था जिसका भाजपा को खामियाजा उठाना पड़ा , सबसे पहले बताते है लोकसभा 2024 के चुनावों में जाटों में क्या नाराजगी थी
दरअसल चूरू में विधानसभा चुनांव हारे भाजपा के राजेन्द्र राठौड़ और भाजपा के सांसद राहुल कांस्वा के बीच खींचतान किसी से छिपी नही है , राठौड़ ने अपनी हार का जिम्मेदार कांस्वा को बताया था जिसके बाद दोनों के बीच जुबानी जंग भी सामने आती रही , इसके बाद लोकसभा चुनावों में भाजपा ने राहुल कांस्वा का टिकिट काट दिया , इसके लिए कहा जाने लगा कि राजेन्द्र राठौड़ के इशारे पर कांस्वा का टिकिट कटा है , टिकिट कटने से खफा कांस्वा ने भाजपा छोड़कर कोंग्रेस का हाथ थामा और लोकसभा चुनाव लड़े और जीत हासिल की ।
इसका असर आसपास की सीटों पर भी देखा गया , चुरू में जाटों के विरोध के प्रभाव के कारण भाजपा को पूरे शेखावाटी क्षेत्र में बड़ी हार का सामना करना पड़ा, जिसमें चुरू, झुंझुनू और सीकर लोकसभा क्षेत्र शामिल हैं.
इसी तरह राजस्थान में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद बनी भाजपा सरकार में मीणा समुदाय में कद्दावर शख्सियत डॉ. किरोड़ी लाल मीना को प्रमुख मंत्रालय नही दिया गया ,जबकि विधानसभा चुनाव के बाद अपेक्षाकृत कम अनुभव वाले लोगों को अधिक महत्वपूर्ण विभाग दिए जाने के बाद वह खुद को उपेक्षित महसूस कह रहे थे. इसे मीना समुदाय के नेता के अपमान के तौर पर देखा गया.
परिणामस्वरूप, भाजपा को दौसा, टोंक-सवाई माधोपुर और भरतपुर सीटों पर अपमानजनक हार का सामना करना पड़ा, जहां मीना समुदाय की काफी आबादी है.
गुर्जर समुदाय पूरी तरह से कांग्रेस के उन उम्मीदवारों का समर्थन किया जो पायलट के करीबी माने जाते थे. नतीजतन, कांग्रेस ने टोंक-सवाई माधोपुर, दौसा, भरतपुर सीटों पर शानदार जीत हासिल की, जबकि जयपुर ग्रामीण सीट वह 10,000 से भी कम वोटों से हार गई. इन सीटों पर सचिन पायलट खेमे के सदस्य हरीश मीना, मुरारी लाल मीना, संजना जाटव, अनिल चोपड़ा ने चुनाव लड़ा था ।
एक और फेक्टर भी राजस्थान में देखने को मिला जिस तरह से राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को पार्टी के भीतर दरकिनार कर दिया गया और उन्हें झालावाड़-बारां निर्वाचन क्षेत्र में प्रचार के लिए बड़े पैमाने पर हटा दिया गया, जहां से उनके बेटे दुष्यंत चुनाव लड़ रहे थे, जिसके कारण भाजपा को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा….
इन कुछ विशेष कारणों के चलते भाजपा को राजस्थान में बड़ा नुकसान उठाना पड़ा ।