राजस्थान में 25 हजार ओरण – देवबणी संरक्षण और सामुदायिक जंगल होंगे सुरक्षित , रूप सुप्रीम कोर्ट ने इस पर अहम फैसला दिया है ..कृषि एवं पारिस्थितिकी विकास संस्थान (कृपाविस ) के संस्थापक अमन सिंह की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है ।
अमन सिंह द्वारा ओरणों के सीमांकन मामले और परिस्थितिक क्षेत्रों में डीम्ड फॉरेस्ट घोषित किए जाने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने 18 दिसंबर को एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया इस संदर्भ में कृषि एवं पारिस्थितिकी विकास संस्थान (कृपविस) के संस्थापक पर्यावरण विद अमन सिंह ने प्रेसवार्ता में जानकारी देते हुए बताया उन्होंने 2022 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा और ओरणों पर जुलाई 2018 के आदेशों की अनुपालना हेतु ओरणों का सीमांकन करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष टीएन गोदावर्मन मामले में आवेदन दायर किया था जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने सर्वोच्च न्यायालय ने 14 जनवरी 2022 को राजस्थान राज्य को नोटिस जारी किया , उपरोक्त दायर रिट याचिका में निर्देशों के लिए न्यायलय के समक्ष 13 फरवरी 2023 को सूचीबद्ध किया ।
अमन सिंह ने बताया उनकी याचिका आई ए संख्या 41723/2022 में ओरण एवं पारिस्थितिकी क्षेत्रों में डीम्ड फॉरेस्ट घोषित किए जाने के निर्देशों के क्रम में राजस्थान सरकार (वन विभाग )द्वारा राजस्थान के विभिन्न जिलों के ओरण को डीम्ड फॉरेस्ट घोषित करने का नोटिफिकेशन जारी किया है ,वन विभाग के अनुसार ओरण को डीम्ड फॉरेस्ट घोषित करने का उद्देश्य पेड़ो व पशु पक्षियों को बचाना है, वर्तमान में जो ओरण भूमि का उपयोग हो रहा है वह पहले की तरह जारी रहेगा ,लेकिन डीम्ड फॉरेस्ट घोषित होने के बाद न भूमि खनन कर पाएंगे न ही किसी तरह का पक्का निर्माण करवा पाएंगे , चिन्हित भूमि में अब पक्की सड़क या रास्ता बनाने के लिए फॉरेस्ट कंजर्वेशन एक्ट के तहत अनुमति लेनी होगी , सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के तहत अब राजस्थान सरकार (वन विभाग)की वेबसाइट पर ताजा आंकड़ों के अनुसार ओरण का लगभग 4 लाख हेक्टेयर क्षेत्र डीम्ड फॉरेस्ट में दर्ज किया है ।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा 18 दिसंबर 2024 को दिए फैसले में राजस्थान राज्य के वन विभाग को ओरण ,देव – वन , रूंध के विस्तृत ऑन – ग्राउंड मैपिंग और सेटेलाइट मैपिंग करने के निर्देश दिए है , कृपविस के संस्थापक पर्यावरणविद अमन सिंह ने ओरण / देवबणी और अन्य रेगिस्तानी परिस्थितिक प्रणालियों को डीम्ड फॉरेस्ट के रूप में वर्गीकृत करने के यह मुकदमा दर्ज किया था , स्थानीय समुदायों के अधिकारों को सुरक्षित करने और सामुदायिक भंडार की स्थापना के लिए लंबी लड़ाई के परिणाम स्वरूप सुप्रीम कोर्ट द्वारा ठोस दिशा निर्देशों का फैसला दिया ,जिसमें राजस्थान के 6,00, 000 हेक्टेयर ओरण भूमि के 25000 ओरण के साथ देश के सभी ओरनो का संरक्षण सुनिश्चित हुआ है ,इस फैसले से अलवर जिले के भी लगभग 200 देवबणी व रूंध इस फैसले के दायरे में आ जाएंगे , साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान के पवित्र उपवनों को तत्काल मान्यता देने के निर्देश दिए है ,जिनका परिस्थितिक महत्व अधिक है और स्थानीय संस्कृतियों में गहराई से पूजनीय है , याचिका कर्ता अमन सिंह द्वारा उपलब्ध कराई गई सूची पर सरकार को विचार करने के निर्देश दिए है ।
इस निर्णय के मुख्य बिंदु में जो कहा गया है ओरण और पवित्र उपवनों को डीम्ड फॉरेस्ट माना जाए , कम्यूनिटी फॉरेस्ट रिजर्व के रूप में मान्यता ,संरक्षण रिजर्व घोषित करने की अनुशंसा व जहां भी संभव हो पूरे भारत में इन ओरणों और पवित्र उपवनों को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत संरक्षण रिजर्व घोषित किया जाए , साथ ही सामुदायिक सहभागिता के लिए नीति तैयार करना है ।