कैबिनेट मंत्री जयंत मल्ल बरुआ ने इसे समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की दिशा में एक बड़ा कदम बताया। अब मुस्लिम विवाह और तलाक से संबंधित सभी मामले स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत आएंगे। उन्होंने कहा, मुस्लिमों के विवाह और तलाक को पंजीकृत करने की जिम्मेदारी जिला आयुक्त और जिला रजिस्ट्रार की होगी। निरस्त हो चुके कानून के तहत कार्यरत 94 मुस्लिम रजिस्ट्रारों को भी उनके पदों से मुक्त कर दिया जाएगा। उन्हें एकमुश्त दो लाख रुपये का मुआवजा मिलेगा। उन्होंने कहा कि 1935 के पुराने अधिनियम द्वारा अंग्रेजों ने किशोर विवाह को आसान बना दिया था। यह कानून अंग्रेजों के समय बनाया गया था। बाल विवाह को रोकने के मकसद से सरकार ने इस कानून को निरस्त करने का फैसला लिया है।
इस संबध में मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने सोशल प्लटफॉर्म ‘एक्स’ पर साझा किये पोस्ट में कहा कि ‘असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम, 1935’ को रद्द करने का राज्य सरकार का कदम असम में बाल विवाह पर रोक लगाने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है।