हाइलाइट्स
पहले एलजी वीके सक्सेना की तरफ से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखा गया था.
अब जवाब में दिल्ली के सीएम ने एलजी को 7 पेज का पत्र लिखा है.
नई दिल्ली. देश की राजधानी में इस वक्त सीएम अरविंद केजरीवाल और उपराज्यपाल वीके सक्सेना के बीच लेटर वॉर चल रही है। एलजी के लेटर के बाद अब इसपर मुख्यमंत्री की तरफ से भी जवाब दिया गया है, जिसमें गंभीर आरोप लगाए गए. सीएम ने विनय कुमार सक्सेना की चिट्ठी में इस्तेमाल भाषा पर गहरी आपत्ति. सीएम ने कहा कि उपराज्यपाल में चिट्ठी में जो भाषा इस्तेमाल की है वह निराशाजनक है. केजरीवाल ने मांग की कि प्रशासनिक व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए अधिकारियों के खिलाफ उपराज्यपाल निर्णायक कार्रवाई करें.
सीएम ने कहा कि आपने पानी के बिल माफ करने की स्कीम को एक भ्रामक कल्पना बताया था. आपने कहा पानी बिल माफी से जुड़ा कैबिनेट नोट आपके संज्ञान में नहीं लाया गया जबकि मैंने खुद एक से ज्यादा बार आपसे इस मामले में चर्चा की और बताया कि अधिकारी कैसे कैबिनेट नोट को रोक कर संवैधानिक संकट खड़ा कर रहे हैं. सीएम ने कहा कि आप जानते हैं सेवाएं आपके नियंत्रण में है. मैंने इससे पहले भी अधिकारियों द्वारा रोके गए कामों से कई मामले आपके सामने उठाए हैं, जिसमें पानी बिल माफी से जुड़ा मुद्दा भी शामिल है. पिछले दो सालों में जब से आप LG बने हैं, मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल में मैंने ऐसा पहले कभी नहीं देखा, जब इतने ज्यादा काम रोके गए हों. अक्टूबर से दिसंबर 2022 तक मोहल्ला क्लीनिक में दवाएं और जांचें बंद कर दी गईं. इस दौरान मोहल्ला क्लीनिक का किराया और बिजली बिल भुगतान भी बंद कर दिया गया. जब मैंने कारणों के बारे में पूछताछ की, तो मुझे बताया गया कि वित्त विभाग द्वारा धन की मंजूरी नहीं दी गई है.
ओपीडी काउंटर…
सीएम ने पत्र में कहा कि सितंबर 2023 से फरवरी 2024 तक अस्पतालों में ओपीडी काउंटरों पर कोई स्टाफ नहीं था. जब मैंने कारण पूछा, तो मुझे बताया गया कि वित्त विभाग ने उन सभी डेटा एंट्री ऑपरेटरों को बर्खास्त कर दिया है, जो सरकारी अस्पतालों में ओपीडी काउंटरों पर काम कर रहे थे. 1993 में जीएनसीटीडी के गठन के बाद पहली बार सभी अस्पतालों से ओपीडी स्टाफ को हटाया गया.
दिल्ली जल बोर्ड…
सीएम ने आगे कहा, ‘जैसा कि मैं आपको लिख रहा हूं, पूरी दिल्ली में सीवर ओवरफ्लो हो रहे हैं, क्योंकि पिछले 7 महीनों से दिल्ली जल बोर्ड को फंड जारी नहीं किया गया है और परिणामस्वरूप उनके पास कोई मशीन नहीं है और कोई मजदूर उपलब्ध नहीं है. अजीब बात है कि वित्त विभाग दिल्ली हाई कोर्ट के आदेशों को भी मानने से इनकार कर रहा है, जिसने उन्हें फंड जारी करने का निर्देश दिया है. 1993 में जीएनसीटीडी के गठन के बाद दिल्ली जल बोर्ड की ऐसी हालत पहली बार हुई है.
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बस मार्शल…
महिलाओं की सुरक्षा के लिए 2015 से बसों में बस मार्शल तैनात किए गए. नवंबर 2023 से उनमें से हजारों को डीटीसी और क्लस्टर बसों से सरसरी तौर पर हटा दिया गया है. जीएनसीटीडी के इतिहास में महिला सुरक्षा बल को इस तरह हटाया जाना कभी नहीं देखा गया है. अब एक बार फिर महिलाओं को बसों में यौन उत्पीड़न और अभद्र व्यवहार का सामना करना पड़ रहा है.
अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई …
यह वही अधिकारी है जिन्होंने पहले स्कूलों अस्पतालों के लिए अच्छा काम किया लेकिन जब से आप आए हैं ऐसे अधिकारियों को डराया धमकाया जा रहा है और ईडी, सीबीआई का डर दिखाया जा रहा है. आपसे एक बार फिर अनुरोध कर रहा हूं कि दिल्ली के कामों को रोकने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करें और दिल्ली के लोगों को निराश ना करें.
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FIRST PUBLISHED : February 29, 2024, 05:22 IST