अलवर जिले में अधिकारियों की मिलीभगत कहे या लापरवाही यहां भूमाफियाओं द्वारा कही सरकारी जमीन पर कब्जा करने तो कही भूमाफियाओं द्वारा अधिकारियों से सांठ गांठ कर करोड़ो की जमीन को कौड़ियों के भाव खरीदने के मामले भी सामने आ चुके है , इतना ही नही शहर के चारो तरफ कट रही अवैध कालोनियों पर भी अधिकारी आंखे मूंदे बैठे है , ऐसा ही एक मामला हाल ही भी सामने आया था जिसमे इआरसीपी कि योजना के लिए पिछली सरकार के दौरान जल संसाधन विभाग द्वारा प्रदेश में कई जमीनों को बेचने की प्रक्रिया इ निलामी से अपनायी गयी थी , अलवर में शहरी सीमा से लगती सरिस्का रोड़ पर उद्यान विभाग के अधीन एक नर्सरी की कई बीघा जमीन को कौड़ियों के भाव भूमाफियाओं को बेच दिया गया , हालांकि इस मामले में जमीन के अधिकार को लेकर विभाग भी गफलत में आ गए थे , सरकार ने इस मामले भ्र्ष्टाचार की आशंका के चलते उसे निरस्त कर दिया था , इसके अलावा भी अगर आप नजर डालेंगे तो चारो तरफ ऐसे अनेको मामले मिल जाएंगे , हाल ही में एक बिल्डर द्वारा डढीकर क्षेत्र में एक फाइव स्टार होटल के लिए जमीन खरीदी थी जिस पर बिना स्वीकृति के निर्माण भी शुरू कर दिया गया इतना ही नही वहां साथ मे लगती सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा कर बाउंड्री तक बना दी गयी , हालांकि प्रशासनिक स्तर पर कुछ कार्यवाही जरूर हुई लेकिन जो हम सरकारी अधिकारियो की मिलीभगत की जो हम बात कर रहे थे उसका एक उदाहरण भी इसी मामले में भी सामने आया , इस जमीन के मामले में एसडीएम अलवर ने 31 मई 2023 को यानी करीब एक साल पहले अलवर तहसीलदार से ढ़ड़ीकर के इस मामले में सम्बंधित खसरा नम्बरो का जिक्र करते हुए जानकारी मांगी गई , लेकिन आश्चर्य इस बात का है कि उस पत्र का एक साल बीत जाने के बाद भी आजतक उस पत्र का जवाब तक नही दिया गया , क्योंकि उसमें अगर सही सही जवाब दे दिया गया तो बिल्डर सहित जिम्मेदार अधिकारियों पर गाज गिरना तय है , एक बार हम आपको वह पत्र बताते है कि उप खण्ड अधिकारी ने तहसीलदार से पत्र भेजकर क्या जवाब मांगा है ।
एसडीएम अलवर ने यह पत्र क्रमांक 2023/ 673 , 31 मई 2023 को तहसीलदार अलवर को भेजा गया , जिसमे लिखा गया ढड़ीकर में पांच सितारा होटल एवं टूरिस्ट हब हेतु आवंटित भूमि आवंटन के सम्बंध में आप द्वारा भिजवाई गयी रिपोर्ट में निम्न बिंदुओं पर कोई रिपोर्ट नही की गई , इस पत्र में उन बिंदुओं का जिक्र सिलसिलेवार बताया गया है , इस पत्र से यह भी लगता है इस सम्बंध में भेजी गई रिपोर्ट में इन तथ्यों को छिपाया गया है ।
इस पत्र में पूछा गया है खसरा नम्बर 2127 / 2416 / 2430 /2553 / 2319 / 2356 उक्त खसरा नम्बर के अलावा कोई और खसरा नम्बर सरकारी भूमि है अथवा नही
इसके अलावा आराजी खसरा नम्बर 2127 /2130 /2128 / 2126 / 2342 किसकी खातेदारी में है क्या इसपर कोई अकृषि कार्य प्रयोग में लाया जा रहा है , रिकॉर्ड के अनुसार कोई खसरा नम्बरान का संपरिवर्तन हुआ है अथवा नही आपकी रिपोर्ट में उल्लेख नही है
इसके साथ ही तीसरे बिंदु पर लिखा गया आरजी खसरा नम्बर 2127 / 2416 / 2430 /2553 / 2319 / 2356 /3456 किस खसरा नम्बर की भूमि वन भूमि के 200 मीटर की दूरी पर है इसका भी उल्लेख करे ।
बिंदु नम्बर 4 में लिखा है 2127 / 2416 / 2430 /2553 / 2319 / 2356 /3456 उक्त खसरा नम्बरान में नदी नाले का भी उल्लेख अपेक्षित है साथ ही यह भी जानकारी मांगी गई कि उक्त नम्बर बहाव या भराव क्षेत्र में तो नही आते ।
वही बिंदु पांच में यह भी पूछा गया उक्त खसरा नम्बर वन भूमि के नजदीक होने से कोई प्रतिकूल प्रभाव तो नही पड़ेगा , साथ ही 6 नम्बर बिंदु पर यह भी पूछा गया कि उक्त खसरा नम्बर पर बिना अनुमति के निर्माण तो नही किया गया है , साथ ही सातवें व अंतिम बिंदु में यह भी पूछा गया उक्त खसरा नम्बर ढड़ीकर एनसीजेड क्षेत्र में तो नही आते ।
दरअसल इस प्रोजेक्ट से पूर्व जो रिपोर्ट तहसीलदार द्वारा पूर्व में भेजी गई थी उनमें इन बिंदुओं का स्पष्ट उल्लेख नही था , पिछले दिनों बिल्डर द्वारा सरकारी भूमि पर कब्जे की खबर आने के बाद यह रिपोर्ट मांगी गई लेकिन एक साल बीत जाने के बाद भी आज तक इसकी रिपोर्ट बनाकर नही भेजी गई है जो अधिकारियों की कार्यशैली पर गम्भीर सवाल खड़े करती है ,