नई दिल्ली. राजस्थान सरकार के दो बच्चों के नियम पर अब सुप्रीम कोर्ट की भी मुहर लग गई है. सुप्रीम कोर्ट ने माना कि दो से ज्यादा बच्चे होने पर सरकारी नौकरी देने से इनकार गैर-भेदभावपूर्ण है. प्रावधान के पीछे का उद्देश्य परिवार नियोजन को बढ़ावा देना है. पंचायत चुनाव लड़ने के लिए भी इसी तरह के नियम को सुप्रीम कोर्ट ने हरी झंडी दी थी. देश की सर्वोच्च अदालत ने कहा कि ये नियम पॉलिसी के दायरे में आता है. इसमें दखल देने की जरूरत नहीं है.
जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने 12 अक्टूबर, 2022 के राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा. पूर्व सैनिक रामजी लाल जाट की याचिका खारिज की. दरअसल 31 जनवरी, 2017 को रक्षा सेवाओं से सेवानिवृत्ति के बाद, जाट ने 25 मई, 2018 को राजस्थान पुलिस कांस्टेबल के पद के लिए आवेदन किया था. उसकी उम्मीदवारी को राजस्थान पुलिस अधीनस्थ सेवा नियम, 1989 के नियम 24(4) के तहत इस आधार पर खारिज कर दिया गया था कि चूंकि 01 जून 2002 के बाद उसके दो से अधिक बच्चे थे, इसलिए वह सरकारी रोजगार के लिए अयोग्य है.
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राजस्थान पुलिस के लिए किया था आवेदन
इन नियमों में कहा गया है कि कोई भी उम्मीदवार सेवा में नियुक्ति के लिए पात्र नहीं होगा जिसके 01 जून 2002 को या उसके बाद दो से अधिक बच्चे हों. अदालत ने कहा कि यह निर्विवाद है कि अपीलकर्ता ने राजस्थान पुलिस में कांस्टेबल के पद पर भर्ती के लिए आवेदन किया था और ऐसी भर्ती राजस्थान पुलिस अधीनस्थ सेवा नियम, 1989 द्वारा शासित होती है.
नियम भेदभावपूर्ण नहीं
पीठ ने कहा कि कुछ इसी तरह का प्रावधान, पंचायत चुनाव लड़ने के लिए पात्रता शर्त के रूप में पेश किया गए थे, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा था. अदालत ने तब माना था कि वर्गीकरण, जो दो से अधिक जीवित बच्चे होने पर उम्मीदवारों को अयोग्य घोषित करता है, गैर-भेदभावपूर्ण और संविधान के दायरे से बाहर है. क्योंकि प्रावधान के पीछे का उद्देश्य परिवार नियोजन को बढ़ावा देना है.
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FIRST PUBLISHED : February 28, 2024, 23:55 IST