सरिस्का वन अभ्यारण्य में वन्य जीवों के लिए पानी टैंकरों से मंगवाया जाता है लेकिन अब इस व्यवस्था को बन्द किया जाएगा , जिले में पानी के संकट का असर सरिस्का के जंगलों में भी बना हुआ है यहां वन्य जीवों के लिए प्राकृतिक रूप से तालाब सूखे होने के चलते पानी की व्यवस्था बोरिंग और टेंकरो के माध्यम से की जाती है लेकिन इससे होने वाली परेशानियों को देखते हुए वन प्रशासन सरिस्का को टैंकर विहीन बनाने का निर्णय किया है । अब सरिस्का के अफसर योजना बना रहे हैं कि जंगल में पानी के टैंकर न मंगवाने पड़ें। इसके लिए रणथंभौर मॉडल लागू करने की तैयारी चल रही है।
सरिस्का में जानवरों की संख्या लाखों में हैं। टाइगर, तेंदुआ, सांभर से लेकर कई बड़े जानवर हैं इस अभ्यारण्य में मौजूद है । ये पानी के लिए तालाबों पर निर्भर हैं। बारिश के समय सरिस्का में एक दर्जन प्राकृतिक तालाबों में पानी आता है लेकिन वर्तमान में अधिकांश तालाब सूखे हुए हैं। कृत्रिम तालाबों की संख्या 40 से ज्यादा है। ये तालाब ऑटोमेटिक सिस्टम के जरिए पानी से भरे जाते हैं। सोलर सिस्टम भी यहां लगाया गया है। इसके अलावा भी सरिस्का में हर साल में पानी टैंकरों के जरिए आता है। इससे आर्थिक भार तो पड़ता ही है। इसके अलावा प्रदूषण भी बढ़ता है साथ ही वन्य जीवों में खलल भी पड़ता है जिस वजह से यह निर्णय लिया गया ।
हाल ही में भाजपा सरकार में वन एवं पर्यावरण मंत्री बनाये गए संजय शर्मा अलवर शहर से विधायक है , सरिस्का वन क्षेत्र भी अलवर जिले में आता है ऐसे में सरिस्का सहित अन्य सभी पर्यटक स्थलों की दशा भी सुधरने की उम्मीद लगाई जा रही है ।