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फिर सपा और कांग्रेस इस बिल का क्यों कर रहे है विरोध ?…

8 अगस्त को लोकसभा में वक्फ बोर्ड संशोधन बिल पारित होना था, इस बिल को पारित करवाने के लिए भाजपा के सहयोगी दल जेडीयू और टीडीपी ने अपना खुला समर्थन भी दे दिया था, लेकिन बांग्लादेश की घटनाओं की आड़ में विपक्षी दलों ने भारत में जो वातावरण बनाया उसे देखते हुए ही केंद्र सरकार को फिलहाल वक्फ बोर्ड संशोधन बिल को पारित करने से रोकना पड़ा है। अब इस बिल के प्रस्तावों पर जेपीसी में मंथन होगा। इसके लिए लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला लोकसभा व राज्यसभा के सांसदों की संयुक्त कमेटी बनाएंगे। कहा जा सकता है कि देश के वक्फ बोर्ड कानून में संशोधन फिलहाल टल गया है। इससे देश के हालात का अंदाजा लगाया जा सकता है। जिस सरकार के पास पूर्ण बहुमत है, वह बिल भी पारित करने की हिम्मत नहीं जुटा रही, जहां तक वक्फ बोर्ड के मौजूदा प्रावधानों और नियमों का सवाल है तो यह जम्मू कश्मीर के अनुच्छेद 370 अब समाप्त जैसा ही है। आज यदि कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी के शिमला वाले बंगले पर वक्फ बोर्ड अपना हक जता दे तो प्रियंका गांधी को यह साबित करना होगा कि बंगले की मालिक वही है। गंभीर बात यह है कि प्रियंका की अपील वक्फ बोर्ड के मुसलमान सदस्य ही सुनेंगे। देश में ऐसे हजारों मामले हैं जिनकी वजह से लोग परेशान हो रहे हैं, क्योंकि वक्फ बोर्ड की संपत्तियों पर सिर्फ मुसलमान का ही अधिकार है। इस वजह से कई प्रदेशों मेंं देश की संपत्तियों का खुला दुरुपयोग हो रहा है। वक्फ बोर्ड में संशोधन के लिए सच्चर कमेटी ने भी सिफारिश कर रखी है। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी सच्चर कमेटी की सिफारिश की समर्थक रही है लेकिन आज संशोधन बिल का विरोध कर रही है। तो क्या यह मान लिया जाए की यह दोनों पार्टिया ही देश के मुसलमान का विकास नहीं चाहती। 8 अगस्त को केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरण रिजिजू ने जो संशोधित बिल प्रस्तुत किया, उसमें साफ कहा गया है कि वक्फ संपत्तियों से जो इनकम होगी उसका उपयोग जरूरतमंद गरीब मुसलमान परिवारों पर ही होगा। यानी वक्फ बोर्ड की इनकम से किसी हिंदू परिवार को फायदा नहीं दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि वक्फ बोर्ड की 3 लाख से अधिक संपत्तियां हैं और 32 हजार से ज्यादा केस पेंडिंग है। ऐसे में वक्फ की संपत्तियों का सही उपयोग नहीं हो रहा है। देश में रेलवे और सेना के बाद 9 लाख एकड़ जमीन वक्फ के कब्जे में है। विपक्ष बेवजह ब्रह्म फैला रहा है कि वक्फ बोर्ड में संशोधन का अधिकार केंद्र सरकार के पास नहीं है। वक्फ बोर्ड में संशोधन का अधिकार केंद्र सरकार के पास नहीं है। असल में संसद में ही वक्फ एक्ट बना, ऐसे में संसद को एक्ट में संशोधन करने का अधिकार है। दुनिया के किसी भी देश में भारत जैसा वक्फ एक्ट लागू नहीं है। समान अधिकार को ध्यान में रखते हुए ही संशोधित बिल में वक्फ बोर्ड का सदस्य गैर मुसलमान को भी बनाया गया है। अभी तक वक्फ बोर्ड में महिलाओं का सदस्य बनने पर प्रतिबंध है लेकिन संशोधित बिल के पारित होने पर महिलाएं भी सदस्य बन सकेंगे। क्षेत्र के सांसद को भी बोर्ड का पदेन सदस्य बनाया गया है। संशोधित कानून लागू होने के बाद मुकदमों का निपटारा 6 माह में हो जाएगा। इससे वर्षों से पीड़ित लोगों को राहत मिलेगी।

यह कहा जा रहा है कि यह संशोधित बिल मुसलमान के धर्म में दखल है। लेकिन सरकार का कहना है विपक्ष का यह आरोप सरासर गलत है यदि कोई सुधार मुसलमान के हित में हो रहा है तो वह धार्मिक मामलों में दखल कैसे हो सकता है।

यदि भारत में कट्टरपंथी विचारधारा मजबूत होती है तो फिर हिंदू ही नहीं यहां के मुसलमान भी असुरक्षित होंगे। आखिर आज बांग्लादेश में कौन सी विचारधारा मुसलमान को ही मौत के घाट उतार रही है ताजा हिंसा में बांग्लादेश में 400 से अधिक ज्यादा मुसलमान की हत्या हो चुकी है जो लोग वक्फ बोर्ड में संशोधन का विरोध कर रहे हैं उन्हें बांग्लादेश में हो रही मुसलमान की हत्याओं को भी देखना चाहिए।

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