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सुखवंत सिंह के तारणहार भूपेंद्र यादव…

रामगढ़ विधानसभा उपचुनाव भाजपा के लिए सीट निकालना चुनौती बनी हुई है यहां से भाजपा ने सुखवंत सिंह को प्रत्याशी बनाया है वह तीसरी बार चुनाव लड़ रहे है इससे पहले वह दो बार चुनाव हार चुके है , सुखवंत सिंह पिछले करीब 15 सालो से राजनीति में सक्रिय है लेकिन दो बार विधायक का चुनाव भी लड़ा लेकिन सफल नहीं हो पाए इस बार रामगढ़ में हो रहे उप चुनाव में भाजपा ने उन्हें प्रत्याशी बनाया है उन्होंने अपने प्रचार में पूरी ताकत झोंक रखी है , सुखवंत सिंह ने पिछला चुनाव आजाद समाज पार्टी के बैनर पर लड़ा था तब वह करीब 74 हजार वोट लेने में कामयाब हो गए थे लेकिन वह जुबेर खान से चुनाव हार गए थे , भाजपा ने इन्हें पार्टी से बगावत मामले में इन्हें निष्कासित कर दिया था , लेकिन लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी मौजूदा सांसद भूपेंद्र यादव उन्हें वापिस पार्टी में लाए थे और कहा जा रहा है उन्हीं के आशीर्वाद से ही सुखवंत सिंह को टिकिट मिला है , अब इस उपचुनाव को जीतना पार्टी के लिए खासकर सांसद भूपेंद्र यादव और वन मंत्री राजस्थान संजय शर्मा की साख का सवाल है खासकर सुखवंत सिंह जब अपने चुनाव में ट्रिपल इंजन की सरकार का दंभ भरते है वह भूपेंद्र यादव को तीसरा इंजन बताते है वही भूपेंद्र यादव भी यहां पूरी निगाह बनाए हुए है लेकिन महाराष्ट्र चुनाव के चलते वह पूरा समय नहीं दे पा रहे ..

सुखवंत सिंह आत्मविश्वास से लबरेज नजर आते है वह अपने प्रचार में अपने तय शेड्यूल पर रोजाना निकल पड़ते है लगभग वह अपने क्षेत्र में एक राउंड पूरा कर चुके है आगामी दिनों में तीन दिन भूपेंद्र यादव रामगढ़ में समय देंगे तब कही चुनावो में सक्रियता नजर आएगी फिलहाल तो भाजपा नेता सिर्फ औपचारिकता करते नजर आ रहे है , इस चुनाव में जो सुखवंत सिंह के सामने चुनौतियां है उनमें बताया जा रहा पिछले बार जो 74 हजार वोट सुखवंत सिंह को मिले थे उसमें एक बड़ा वर्ग एस सी वर्ग था जो आसपा से जुड़ा था क्या सुखवंत सिंह के आसपा छोड़कर वापिस भाजपा में आ जाने से क्या वह वर्ग इन्हें वोट देगा इस पर संशय बना हुआ है दूसरा सुखवंत सिंह के साथ पिछले चुनाव में भाजपा से टिकिट नहीं मिलने से उनके प्रति सहानुभूति का भी लाभ मिला लेकिन क्या इस बार भी ऐसा होगा या नहीं कुछ कहा नहीं जा सकता ,

इसके अलावा भाजपा को एक और चिंता यह भी है कि 12 नवंबर का अबूझ सावा देव उठनी ग्यारस का सावा है जिसके चलते दूसरे दिन 13 नवंबर को होने वाले मतदान के हिन्दुओं का मतदान प्रतिशत कम रह सकता है वही ओड राजपूत समाज हर साल की तरह सर्दियों में कपास की खेती मजदूरी के लिए पंजाब की तरफ निकल जाते है ऐसे में सुखवंत सिंह के तारणहार होंगे तो इकलौते भूपेंद्र सिंह अगर उन्होंने इस क्षेत्र में सही समय दिया तो ही सुखवंत सिंह की नैया पार हो सकती है वरना मुकाबला तो टक्कर का है ही ऐसे में आर्यन खान को हल्के में नहीं लेना चाहिए ।

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