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अलवर में अलकायदा के ट्रेनिंग सेंटर का खुलासा…

अलवर जिले के भिवाड़ी में अलकायदा के आतंकी मोड्यूल का पर्दाफाश हुआ है , गुरुवार को दिल्ली पुलिस के स्पेशल टीम ने चोपानकी के पहाड़ों में चल रहे आतंकी ट्रेनिंग सेंटर पर दबिश देते हुए 6 संदिग्ध लोगो को गिरफ्तार किया साथ ही ट्रेनिंग में काम में लिए जा रहे अनेकों हथियार भी बरामद किए , इस कार्यवाही को दिल्ली पुलिस की स्पेशल टीम और राजस्थान की एटीएस टीम ने अंजाम दिया इसी तरह की कार्यवाही उत्तरप्रदेश और रांची में भी की गई थी ।

राजस्थान हरियाणा सीमा पर भिवाड़ी के अजमेरी नाका सीमा पर अंतिम गांव है जहां सारेकला की दुर्गम पहाड़ियों में आतंकी संगठन अलकायदा के ट्रेनिंग सेंटर चलने की जानकारी मिलने पर दिल्ली की स्पेशल पुलिस ने गुरुवार को भिवाड़ी पुलिस और एटीएस ने मिलकर दबिश दी , इस कार्यवाही में छः संदिग्ध लोगो को गिरफ्तार किया गया ,साथ ही इनके पास ही ट्रेनिंग में काम में लिए जा रहे हथियारों को भी जब्त किया जिसमे डमी एके 47 सहित पिस्टल , रिवाल्वर, कारतूस और गोला बारूद मिलने की जानकारी सामने आई है । इसके साथ ही दिल्ली पुलिस ने भिवाड़ी के अलावा उत्तर प्रदेश और झारखंड में भी इस तरह के चल रहे सेंटर्स पर कार्यवाही करते हुए रांची के लोहरदगा और हजारीबाग से आठ और यूपी से एक को गिरफ्तार किया ।

मिली जानकारी के अनुसार ए टी एस ने रांची के जोड़ा तालाब स्थित अपार्टमेंट्स से डॉक्टर इश्तियाक अहमद को पकड़ा था , दिल्ली पुलिस की प्रवक्ता सुमन नलवा के मुताबिक खुफिया ऑपरेशन के दौरान पता चला कि रांची से ऑपरेट को रहे अलकायदा के इस आतंकी मोड्यूल का सरगना डॉक्टर इश्तियाक अहमद है , जो राची के मेडिका अस्पताल में रेडियोलोजिस्ट के पद पर काम कर रहा है , वह जमशेदपुर का रहने वाला है , वही हजारीबाग से गिरफ्तार फैजान पिछले साल से डॉ इश्तियाक के संपर्क में था , इश्तियाक अपने सहयोगियों के साथ है फैजान के घर खाना खाने भी आ चुका है , स्पेशल सेल की ओर से चलाये गए इस ऑपरेशन में पता चला कि मोड्यूल के सदस्यों को अलग-अलग स्थानों पर तैयार किया जा रहा है और उमेश हथियारों की ट्रेनिंग भी जा रही है ,

दरअसल अल कायदा एक इस्लामी कट्टरपंथी सलाफ़ी जिहादवादियों का जालतंत्र है , यह बहुराष्ट्रीय उग्रवादी सुन्नी इस्लामवादी संगठन बताया जाता है ,अल-क़ायदा को आमतौर पर अरब दुनिया का एक सैन्य चरमपंथी संगठन भी माना जाता है, इसकी स्थापना 33 साल पहले साल 1988 में पाकिस्तान के प्रांत सरहद (अब ख़ैबर पख़्तूनख़्वाह) की राजधानी पेशावर के यूनिवर्सिटी टाउन इलाक़े में हुई थी. साल 1996 से 2001 तक तालिबान के शासन के दौरान अल-क़ायदा अफ़ग़ानिस्तान में काफ़ी मज़बूत हुआ. इस दौरान अल-क़ायदा अरब दुनिया के हज़ारों युवाओं को अफ़ग़ानिस्तान लाया और उन्हें सैन्य और बौद्धिक रूप से प्रशिक्षित किया, जिन्होंने 9/11 के बाद, मध्य पूर्व और अफ्रीक़ा में अल-क़ायदा की मज़बूत शाखाएं स्थापित की और पश्चिम में अल-क़ायदा द्वारा किए गए अन्य हमलों में भी अहम भूमिका निभाई. 9/11 के बाद से पाकिस्तान में अल-क़ायदा के लिए अहम भूमिका निभाई है, जिनमें कमांडर इलियास कश्मीरी, उस्ताद अहमद फ़ारुक़, क़ारी इमरान, डॉक्टर अबू ख़ालिद, शेख़ उमर आसिम और हुसैन नामी पाकिस्तानी शामिल रहे .इस संगठन का उद्देश्य दुनिया में एक ऐसा वैश्विक जिहादी मंच स्थापित करना था, जो सशस्त्र जिहादी आंदोलनों को बढ़ावा दे. और इस तरह धीरे-धीरे एक वैश्विक इस्लामी व्यवस्था, यानी ख़िलाफ़त की स्थापना की जा सके , भारत में अलकायदा और आईएस के नए संगठनों को प्रतिबंधित किया हुआ है
अलकायदा से जुड़ा संगठन AQIS एक आतंकवादी संगठन है जिसने कई आतंकी कृत्यों को अंजाम दिया है और भारतीय उपमहाद्वीप में भारतीय हितों के खिलाफ आतंकी कृत्यों को बढ़ावा तथा प्रोत्साहन दे रहा है|

भारत में भी यह संगठन गुपचुप तरीके से अपने स्लीपर सेल तैयार करने में जुटा हुआ है , अलवर जिले में सामने आई दिल्ली पुलिस की कार्यवाही में इस नेटवर्क का पर्दाफाश हुआ लेकिन सवाल कई है आखिर इस क्षेत्र में चल रहे इस कथित अलकायदा के ट्रेनिंग सेंटर की स्थानीय पुलिस तंत्र को कोई खबर नहीं लगना चिंता का विषय है साथ ही वहा इन जंगलों में ग्रामीण भी अपने पशु चराने जाते है उनके द्वारा भी कोई जानकारी साझा नही की गई , यह वो दुर्गम जंगल और पहाड़िया है जहा हर कोई आता जाता नही है ।
मेवात से लगते इसी क्षेत्र में तीन साल पहले भी इस आतंकी संगठन अलकायदा के मॉडयूल से जुड़ाव एवं राष्ट्र विरोधी गतिविधि में शामिल होने की वजह से जुलाई 2021 में एटीएस ने तिजारा के बैंगन हैडी निवासी असरुद्दीन को गिरफ्तार किया था , उसके द्वारा एक धर्म के प्रति नफरत और दूसरे से जोड़ने संबंधी सामग्री का प्रचार प्रसार किया जा रहा था , उसके द्वारा पाकिस्तान में लगातार बातचीत भी की जा रही थी , वह राष्ट्र विरोधी बातों से युवाओं को उकसाने का काम भी कर रहा था , उसके पास 8 सिम मिली थी जिससे उसने अलग-अलग नाम से उसने सोशल मीडिया अकाउंट बना रखे थे इसके अलावा उसे विदेश से भी कुछ राशि भेजी गई थी ।

अब साइबर क्राइम के लिए बदनाम अलवर के लिए एक और गंभीर चुनौती खड़ी हो गई है , इस तरह के आतंकी संगठन का यहां ट्रेनिंग सेंटर चलना चिंता का विषय है , जिस तरह मेवात क्षेत्र से जुड़ा युवा आज पूरी तरह से साइबर क्राइम को ही अपना व्यवसाय समझने लगा है कही यही युवा किसी भी प्रलोभन में इन आतंकी संगठनों के चंगुल में न फंस जाए इसके लिए सरकार को ,स्थानीय प्रशासन को विशेष निगरानी रखने की आवयश्कता नजर आती है । वरना आने वाले समय में यह देश के लिए बड़ी चुनौती बनकर उभरेगा …

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