अयोध्या में भगवान राम मंदिर तो बन गया लेकिन इसके पीछे भी एक बड़ा इतिहास छिपा है यंहा यह तो सभी जानते है कि आज ही के दिन यानी छह दिसंबर को भाजपा सहित हिंदूवादी संगठनों खासकर विश्व हिंदू परिषद , बजरंग दल सहित आरएसएस के स्वयंसेवकों ने अयोध्या पहुंच कर राममंदिर स्थल पर बने बाबरी मस्जिद के ढांचे को गिरा दिया था , पुलिस ने कारसेवकों पर जमकर लाठियां बरसाई ,
गोलियां चलाई गई ,कई कार सेवको की इसमें जान चली गयी बताया गया कि इस हादसे में 17 लोगो की जान चली गयी लेकिन लोगो मे जोश कम नही हुआ , वहां पहुंचे लोगो मे भगवान राम के प्रति एक ऐसी आस्था थी की देशभर में कोने कोने से रामभक्त रातों रात अयोध्या पहुंचे थे इस आंदोलन का नेतृत्व भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी और विश्व हिंदू परिषद प्रमुख अशोक सिंघल , मुरली मनोहर जोशी , विनय कटियार कर रहे थे ..साथ ही उस समय राज्य के मुख्यमंत्री कल्याण सिंह थे ।
6 दिसंबर, 1992 भारतीय इतिहास का एक अहम और विवादास्पद दिन था, जब अयोध्या में स्थित बाबरी मस्जिद को एक बड़े विवाद और हिंसा के बाद ध्वस्त कर दिया गया , इस घटना के परिणामस्वरूप देशभर में सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे और हिंदू-मुस्लिम तनाव बढ़ गया। बाबरी मस्जिद को ध्वस्त क इसके परिणामस्वरूप न केवल राजनीतिक और कानूनी विवाद भी बढ़े, बल्कि सांप्रदायिक हिंसा और सामाजिक ध्रुवीकरण भी हुआ।
केंद्र में तत्कालीन नरसिम्हा राव सरकार की सिफारिश पर उस वक्त के राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर उत्तर प्रदेश की कल्याण सिंह सरकार, हिमाचल प्रदेश की शांता कुमार सरकार, राजस्थान की भैरों सिंह शेखावत सरकार और मध्य प्रदेश की सुंदर लाल पटवा सरकार को बर्खास्त कर दिया था.
आपको बता दे बाबरी मस्जिद का निर्माण 1528 में मुग़ल सम्राट बाबर के आदेश पर हुआ था। इस मस्जिद के निर्माण को लेकर विवाद यह था कि इसे उसी स्थान पर बनवाया गया था, जहाँ हिंदू विश्वास के अनुसार भगवान राम का जन्म हुआ था। हिंदू समुदाय का कहना था कि वहां एक प्राचीन मंदिर था जिसे विध्वंस कर मस्जिद बनाई गई थी। इस विवाद का मुद्दा वर्षों से अदालतों और राजनीतिक मंचों पर चर्चा का विषय बना रहा।आखिर इस पर सुप्रीम कोर्ट के बाद फैसला हिंदूवादी संगठनों के पक्ष में आया और मोदी सरकार में शांतिपूर्ण भव्य राम मंदिर का निर्माण हुआ ।