विधानसभा उपचुनाव के मतदान के बाद समरावता में हुई हिंसा मामले में हाईकोर्ट ने नरेश मीणा की जमानत खारिज कर दी ,नरेश मीणा द्वारा लगाई जमानत याचिका मामले पर शुक्रवार 14 फरवरी को राजस्थान हाईकोर्ट ने नरेश मीणा की जमानत खारिज करते हुए कहा कि इस मामले में चालान पेश हो जाने से अभियुक्त को जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता। ऐसे अपराधियों को जमानत के लाभ से वंचित रखना ही न्यायोचित है। हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि इस निर्णय से समाज में यह संदेश जाएगा कि राजनीतिक व्यक्ति जो अपराध करता है, उसका सभ्य समाज में कोई स्थान नहीं होना चाहिए। घटना से जुड़े जो वीडियो अब तक सामने आए हैं। उससे स्पष्ट है कि हिंसा का जिम्मेदार कौन है।
सुनवाई के दौरान नरेश मीणा के वकील डॉ. महेश शर्मा ने कहा कि गांव वाले तहसील मुख्यालय बदलने की मांग करते हुए कई दिनों से आंदोलन कर रहे थे। 13 नवंबर को मतदान के दिन भी ग्रामीण धरने पर बैठे थे। उस समय एसडीएम ने ग्रामीणों से जबरन वोटिंग करवाई जिसकी वजह से नरेश मीणा और एसडीएम के बीच हाथापाई हो गई थी। डॉ. शर्मा ने कहा कि 14 नवंबर को पुलिस ने नरेश मीणा को हिरासत में ले लिया था। उसके बाद हुई हिंसा में नरेश का कोई रोल नहीं है। एएजी राजेश चौधरी ने याचिकाकर्ता की दलीलों का विरोध करते हुए कहा कि हिंसा और उपद्रव के लिए किसने उकसाया था, इससे जुड़े सभी वीडियो कोर्ट में पेश किए जा चुके हैं। नरेश मीणा के खिलाफ तमाम सबूत कोर्ट में दिखाए जा चुके हैं। हिंसा में 27 पुलिसकर्मियों को चोटें आई और 42 वाहन जला दिए गए थे। घटना की गंभीरता को देखते हुए अभियुक्त को जमानत का लाभ नहीं मिलना चाहिए।
मतदान के दिन एसडीएम को थप्पड़ मारे जाने के मामले में एसडीएम अमित चौधरी की ओर से मुकदमा दर्ज कराया गया था। इसके अलावा नरेश मीणा के खिलाफ दो और प्रकरण भी दर्ज हुए थे। यानी उपचुनाव के दौरान हुए अलग अलग घटनाक्रम में कुल चार एफआईआर में नरेश मीणा आरोपी है। अगर शुक्रवार को एक मामले में जमानत मिल भी जाती को दूसरे मामलों की वजह से वह जेल में ही रहता।
फिलहाल नरेश मीणा को हाईकोर्ट से झटका मिलने के बाद अब उच्च अदालत में याचिका दाखिल की जा सकती है ।