उत्तर प्रदेश के हाथरस में सूरजपाल उर्फ नारायण साकार हरि के सत्संग के बाद मची भगदड़ में करीब 120 लोगों की मौत हो गई. मरने वालों में ज्यादातर महिलाएं और बच्चे हैं .मृतकों की संख्या लगातार बढ़ रही है. जिस नारायण हरि के सत्संग में 116 से ज्यादा लोगों की जान गई, वो अभी भी पुलिस की पकड़ से बाहर है. जिस बाबा की लापरवाही से महिलाओं और बच्चों को मौत हुई, वो बाबा प्रशासन की कृपा से गायब है. आखिर इस घटना के बाद क्या सरकार या प्रशासन कोई सबक लेगा या कुछ दिनों तक जांच के नाम पर फाइल इधर से उधर चलेगी लेकिन क्या यह उन मरने वालों और उनके परिजनों के साथ अन्याय नही है तो क्या है दरअसल आजकल धर्म गुरुओं , कथावाचकों के कार्यक्रम में लाखों की भीड़ पहुंचती है वह भीड़ ऐसी होती जो अपने दुखों को दूर करने के लिए इनके दरबार मे पहुंचते है लेकिन इस हादसे में मरने वालों को यह पता नही था जिसके दरबार मे हम अपने दुख कष्ट दूर करने के लिए जा रहे है वही उनकी मौत का कारण बन जायेगा ।
पहले आपको बताते है कौन है सूरजपाल , इसने धर्म प्रचार के नाम पर लोगों से पैसा और संपत्ति हासिल की. ये लोगों को बताता था कि वो यूपी पुलिस की इंटेलिजेंस यूनिट में था.ये अपने श्रद्धालुओं से सत्संग की व्यवस्था का खर्च उठवाता था. कोरोना के लॉकडाउन काल में भी इसने हजारों की भीड़ जुटाकर सत्संग किया था. कोरोना काल में भी सत्संग करवाने की हिम्मत करने वाले नारायण हरि पर, उस वक्त भी सख्ती नहीं की गई थी. इसी वजह से नारायण हरि ने अव्यवस्थाओं से भरा एक और सत्संग किया, जिसमें करीब 120 लोगों की बलि चढ गई.
बताते है नारायण हरि ने जब सत्संग का बिजनेस शुरु किया तो उसे लगा कि प्रवचन वाले बिजनेस में बहुत फायदा नहीं है. उसने अपने भक्तों को बरगलाने के लिए एक साइड बिजनेस शुरू किया. उसने काला जादू वाला बिजनेस शुरू किया. इस बिजनेस से उसने काफी पैसा कमाया. नारायण हरि का दावा है को ‘भूत भगाता’ है. भूत भगाने वाले इस बाबा के कई वीडियो सोशल मीडिया पर मौजूद हैं. इसके चेले भी नारायण हरि को एक ऐसे व्यक्ति की तरह पेश करते हैं जो दैवीय शक्ति रखता है. जबकि सच्चाई ये है कि इस हादसे के बाद से वो छिपता फिर रहा है.
नारायण हरि अपने भक्तों की मासूमियत का फायदा उठाता था. वो भक्तों को बेवकूफ बनाने के लिए भूतों से बात करने का नाटक करता है. उसका दावा है कि वो जिन्न और आत्माओं से बात करता है. अफसोस है कि इस तरह के बाबा पर लोगों को भरोसा भी था. लोग टैंकर और बसों की छतों पर बैठ हुए थे…बारिश की वजह से पूरे खेत में कीचड़ की वजह से जमीन दलदल जैसी हो गई थी…ऐसी लापरवाही के बावजूद यहां सत्संग हुआ, जिसकी वजह से लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी.
इस हादसे के बाद घटना के लिए जिम्मेदार आयोजक प्रशासन पर डाल रहे है तो वही हाथरस के डीएम आशीष पटेल कह रहे हैं कि सत्संग के अंत में ज्यादा उमस के कारण भगदड़ मची. प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि सत्संग स्थल पर डॉक्टर ना होने की वजह से भी कई लोगों की जान चली गई. हाथरस पुलिस कह रही है कि सत्संग कार्यक्रम की अनुमति दी गई थी लेकिन सत्संग स्थल के अंदर की व्यवस्था आयोजकों द्वारा की जानी थी. सब इतनी बड़ी घटना पर अपना गिरेबां बचाने की कोशिशों में जुटे हैं और जिम्मेदारी लेने से बच रहे हैं और अस्पताल लाशों और घायलों से भरे पड़े हैं….
कुल मिलाकर इस हादसे ने सबको झकझोर कर रख दिया है इससे सभी श्रद्धालुओ को भी सबक लेने की आवयश्कता है हालांकि यह कोई पहला हादसा नही है जिसमे कई जाने चली गयी इससे पहले भी 2011 में केरल के सबरीमाला मन्दिर में हुए हादसे में 102 श्रद्धालुओं की मौत हो गयी थी , 2016 में कोल्लम के पुंत्तीगल मन्दिर में 106 लोगो की मौत हो गयी थी ,दतिया के रतनगढ़ माता मंदिर में 2013 में 115 लोगो की मौत हुई थी ,2008 में हिमाचल के नैना देवी मंदिर में 146 लोगो की मौत हुई इसके अलावा जोधपुर में 2008 में चामुंडा देवी मंदिर 116 लोगो की मौत हुई इसी तरह 2005 में सतारा के मेघर देवी मंदिर में हुए हादसे में 291 लोगो की जान चली गयी थी , वही देश के सबसे बड़े धार्मिक स्थल पर हुए हादसे की बात करे तो 1954 में इलाहाबाद में कुंभ मेले में 800 श्रद्धालुओं की मौत के दर्दनाक हादसे ने सबको हिलाकर रख दिया था ।
लगातार सामने आ रहे इस तरह के हादसों से प्रशासन को सख्ती करने की आवयश्कता नजर आती है वही आमजन को भी जागरूक रहना चाहिए ।