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IC 814 WEB-SERIES CONTROVERSY KANDAHAR….

आजकल एक वेब सीरीज काफी विवादो में है , जी हां अनुभव सिन्हा निर्देशित यह वो वेब सीरीज है जिसका नाम आईसी-814 द कंधार हाईजैक है , दरअसल यह वेब सीरीज करीब 25 साल पहले की है एक घटना पर आधारित है , जब नेपाल से कुछ कट्टरपंथी मुस्लिम आतंकियों ने एयर इंडिया के विमान को हाईजेक कर लिया था , जिसके बदले उन्होंने भारत के जेलो में बंद दुर्दांत आतंकी छुड़ा लिए थे , लेकिन इस वेब सीरीज में जो विवाद है की इसमें जिन्होंने एरोप्लेन को हाईजेक किया था उन आतंकियों के नाम हिंदुओ के भोला और शिवा नाम दिखाए गए है जबकि यह सामने आ चुका है वह मुस्लिम कट्टरपंथी थे जो आईएसआई के इशारे पर वारदात को अंजाम दे रहे थे लेकिन अनुभव सिन्हा ने आतंकियों के असली नामो को छुपाया और घटना के वक्त जो आतंकियों ने अपने बदले हुए नाम रखे हुए थे उसे ही दिखाया गया इससे ऐसा लगा की वारदात करने वाले हिंदू ही थे , विमान के अंदर आतंकियों ने एक-दूसरे से बात करने के लिए अपने कोड नाम रखे थे। उनके कोड नाम डॉक्टर, बर्गर, भोला, शंकर और चीफ थे। ये सभी अपहरणकर्ता विमान में इन्हीं नामों से एक-दूसरे से बात कर रहे थे वेब सीरीज में निर्देशक अनुभव सिन्हा ने इन आतंकियों के इन्हीं नामों का इस्तेमाल किया गया है। जबकि इनके असली नाम इब्राहिम अतहर, सनी अहमद काजी, जहूर इब्राहिम, शाहिद अख्तर और सैयद शाकिर थे।
सवाल उठना लाजमी था आखिर अनुभव सिन्हा क्या दिखाना चाहते है ,जब हमारी अगली पीढ़ीया इन की यह सीरीज को दिखेंगी तो उन्हे कोन समझाएगा की यह सब गलत दिखाया गया था , इस फिल्म में हिंदूओ की भावनाओं को ठेस पहुंचाने पर देश भर में बवाल मचा हुआ है इस मामले में सूचना एवम प्रसारण मंत्रालय ने नेटफ्लिक्स और निर्माता निर्देशक को बुलाकर फटकार लगाई और फिल्म में डिस्क्लेमर डाल कर आतंकियों के असली नाम डलवाए गए , आइए जानते है क्या है कंधार हाईजेक की पूरी कहानी … और क्या है इस पर बनी अनुभव सिन्हा की वेब सीरीज पर विवाद..

24 दिसंबर 1999 को इंडियन एयरलाइंस का एक प्लेन को आतंकवादियों ने नेपाल से हाईजैक कर लिया गया था…जिसमे क्रू मेंबर सहित करीब 190 लोग सवार थे ।
विमान ने काठमांडू के त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट से उड़ान भरी थी। इसमें ज्‍यादातर भारतीय यात्री थे, जो दिल्‍ली आ रहे थे। भारतीय वायु सीमा में विमान के दाखिल होते ही हाईजैकर्स खड़े हुए और प्लेन को कब्जे में ले लिया था ,
IC-814 के अपहरण की साजिश रावलपिंडी GHQ में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ने रची थी। इसका मकसद भारत सरकार को हरकत-उल-अंसार के महासचिव मसूद अजहर को जम्मू जेल से रिहा करने के लिए मजबूर करना था। इससे पहले 15 जुलाई, 1999 को कोट बलवाल में जेलब्रेक के दौरान उसका साथी कमांडर सज्जाद अफगानी मारा जा चुका था। मसूद अजहर के भाई मोहम्मद इब्राहिम अतहर अल्वी को डर था कि भारतीय खुफिया एजेंसियां ​उसे भी ढेर कर देंगी। ऐसे में उसने अपने सहयोगियों के साथ काठमांडू में ISI नेटवर्क का उपयोग करके अपहरण की योजना बनाई थी । उन्होंने पायलट और यात्रियों के ऊपर बंदूकें तान दीं।

आतंकवादियों ने विमान को पाकिस्तान ले जाने के लिए दबाव बनाया। कैप्टन देवी शरण ने ( ic 814 captain devi sharan) लाहौर एयर स्‍टेशन बात की, लेकिन पाकिस्तान की ओर से लैंड करने की अनुमति नहीं मिली। फ्लाइट में इतना फ्यूल नहीं था कि उससे लंबी दूरी की उड़ान भरी जा सके।
ऐसे में शाम छह बजे विमान को अमृतसर एयरपोर्ट पर उतारा गया। 25 मिनट रुका, लेकिन कुछ दिक्कतों के चलते फ्यूल नहीं भरा जा सका। गुस्‍साए आतंकियों ने एक पैसेंजर रूपिन कत्याल का गला रेत दिया और दोबारा लाहौर की ओर बढ़ गए।
उस वक्त भारत-पाकिस्तान के बीच किसी तरह की बातचीत नहीं थी। कारगिल युद्ध खत्म ही हुआ था। रात 8:07 बजे विमान ने लाहौर में लैंड किया। वहां से ईंधन भरने के बाद काबुल के लिए उड़ान भरी, लेकिन काबुल और कंधार में रात के वक्त लाइट्स का सही इंतजाम न होने के चलते विमान उतारा नहीं जा सका।
इसके बाद विमान दुबई के लिए रवाना हो गया। दुबई के अल-मिन्हत एयरफोर्स बेस पर विमान उतारा गया। वहां ईंधन भरने के एवज में महिलाओं और बच्चों का रिहा करने का समझौता हुआ। हाईजैकर्स ने 25 यात्रियों को रिहा किया और रूपिन कात्याल का शव भी यूएई अथॉरिटी को सौंप दिया।
इसके बाद 25 दिसंबर 1999 की सुबह विमान ने दुबई से अफगानिस्तान के लिए उड़ान भरी, और कंधार में विमान उतारा गया। उस वक्त अफगानिस्तान में तालिबान का राज था।

भारतीय अधिकारियों का एक दल हाईजैकर्स से बातचीत करने कंधार पहुंचा। उस वक्त केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली गठबंधन की सरकार थी। हर बीतते दिन के साथ सरकार की मुश्किलें बढ़ रहीं थीं। मीडिया के दबाव और बंधक यात्रियों के परिजनों का हंगामा जारी था।

इसी बीच, हाईजैकर्स ने पैसेंजर्स को छोड़ने के बदले भारतीय जेल में बंद मसूद अजहर समेत 35 आतंकियों की रिहाई, कश्‍मीर में मारे गए एक आतंकी का शव और 20 करोड़ अमेरिकी डॉलर की मांग रखी।

खैर, लंबी बातचीत के बाद 153 पैसेंजरों को रिहा करने के बदले हाईजैकर्स ने मौलाना मसूद अजहर समेत तीन आतंकियों की रिहाई की शर्त रखी थी।

तत्‍कालीन विदेश मंत्री जसवंत सिंह तीन आतंकियों मुश्ताक अहमद जरगर, अहमद उमर सईद शेख और मौलाना मसूद अजहर को कंधार लेकर गए। इसी मसूद अजहर ने बाद में जैश-ए-मोहम्मद आतंकी संगठन बनाया जो 2019 पुलवामा हमलों में शामिल था।

अब इस पर बनी वेब सीरीज विवादो में है जिसका निर्देशन अनुभव सिन्हा ने किया है यह 29 अगस्त से नेटफ्लिक्स पर ब्रॉडकास्ट हो रही है। वेब सीरीज को लेकर दावा किया कि निर्माताओं ने आतंकियों के असली नाम छुपाए और जो कोड नाम का वो इस्तेमाल कर रहे थे उन्हें ही दिखाया गया जिसमे उनके नाम भोला , शंकर जैसे ही थे जो हिंदुओ में देवताओं के नाम थे , निर्देशक महोदय चाहते तो उनके नाम के इस्तेमाल में यह भी साफ करते की उनके असली नाम क्या है लेकिन आतंकियों के असली नामो को छुपाया गया , सबसे बड़ी बात ये है सब सामने आ चुका था की आईएसआई की इसमें महत्वपूर्ण भूमिका थी , आतंकियों के असली नाम भी सामने आ गए थे जो मुस्लिम समुदाय कट्टरपंथी थे फिर भी उनके असली नाम छुपाए गए , जिसके चलते पूरे देश में आक्रोश पैदा हो गया । जबकि आतंकियों के असली नाम इब्राहिम अतहर- बहावलपुर , शाहिद अख्तर सईद , गुलशन इकबाल, कराची। सनी अहमद काजी, डिफेंस एरिया, कराची। मिस्त्री जहूर इब्राहिम, अख्तर कॉलोनी, कराची और शाकिर, सुक्कुर सिटी थे । इन नामो को वेब सीरीज में छुपाया गया था ।

हाईजैक खत्म हुआ पर ये तीनों (छोड़ गए आतंकवादी) जिन्हे छोड़ना पड़ा था , अब तक न जाने कितनी मासूम मौतों और हादसों के जिम्मेदार हैं। इसके बाद संसद पर हमला, डैनियल पर्ल की गला रेतकर हत्या, मुंबई पर आतंकवादी हमला और पुलवामा की घटनाए इनके नाम लिखी है ।

फिलहाल दिल्ली सरकार ने नेटफ्लिक्स सहित वेब सीरीज के निर्माता निर्देशक पर इस फिल्म डिस्क्लेमर में सभी आतंकियों के असली नाम डालने के लिए पाबंद कर दिया है ।

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