अलवर जिले की पहचान सरिस्का से जुड़ी है यहां का वन अभ्यारण्य देश विदेश में अपनी पहचान रखता है सरिस्का बाघ अभयारण्य अरावली पर्वतमाला में स्थित है जो राजस्थान के अलवर ज़िले का एक हिस्सा है।
सरिस्का को वर्ष 1955 में एक वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया गया था और बाद में वर्ष 1978 में इसे बाघ अभयारण्य घोषित किया गया, जिसके बाद से यह भारत के प्रोजेक्ट टाइगर का हिस्सा बन गया। यहां हर साल लाखों पर्यटक भृमण करने आते है , इसके चलते पूरे सरिस्का के सीटीएच सहित पूरे बफर जॉन में होटल व्यवसाय आसमान पर पहुंच गया , लेकिन इस व्यवसाय से जुड़े खासकर होटल संचालकों ने प्रकृति के साथ बड़ा खिलवाड़ किया जिसमे कई बड़े नेता और अफसर भी इसमे शामिल रहे जिनके प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से संरक्षण के चलते क्षेत्र में अवैध अतिक्रमणों की बाढ़ आ गयी , सरिस्का के अकबर पुर रेंज के बफर रेंज में सिलीसेढ़ के चारो तरफ तो ये हालात हो गए की पूरी झील को चारों तरफ होटल्स खुल गए जिससे लेक पैलेस का गला घोंट दिया गया ।
हालांकि अधिकांश निर्माण इनकी खातेदारी की जमीन पर है लेकिन आश्चर्य इस बात का है इनके होटल या अन्य व्यवसायिक गतिविधि की किसी के पास भी वन विभाग की कोई अनुमति नही है , कुछ संचालको ने यूआइटी से भू रूपांतरण करा रखा है तो किसी ने पर्यटन विभाग से अनुमति ले रखी है , कही मात्र सरपंच की अनुमति है और कई ऐसे भी है जिनके पास कोई किसी प्रकार की एनओसी नही है लेकिन फिर भी यहां धड़ल्ले से इनके संचालन हो रहे है । आखिर जिम्मेदार विभाग अब तक क्यो आंखे मूंदे बैठे रहे , जबकि सिलीसेढ़ की पाल की तरफ बने होटल सारा गार्बेज तक झील में छोड़ रहे है ,इतना ही नही आज भी इस क्षेत्र में धड़ल्ले से निर्माण चल रहे है कोई जिम्मेदार वहां जाकर इन्हें नही रोक रहा आखिर किन स्वार्थों के पीछे इन्हें मौन स्वीकृति दी जाती रही यह बड़ा सवाल है इस स्थिति के जिम्मेदार सिर्फ ये होटल संचालक नही है बल्कि वो तमाम विभाग और उनके अधिकारी है जिनकी शय पर इनका हौसला बढ़ता चला गया , यह प्रकृति के साथ क्रूर मजाक है जिसके दोषी ये सभी है ,
इस अतिक्रमण से सिलीसेढ़ से जयसम्बन्ध की तरफ आने वाले पानी के बहाव का क्षेत्र रुक गया , रास्ते मे भूमाफियाओं ने प्लॉटिंग कर चार दिवारिया खड़ी कर दी गयी , एक के बाद एक अवैध अतिक्रमण होते चले गए लेकिन प्रशासन आंखे मूंदे सब देखता रहा जिसका एक खामियाजा यह भी हुआ कि सिलीसेढ़ से जयसम्बन्ध तक आने वाला पानी बांध तक पहुंचना बन्द हो गया और जयसम्बन्ध में कई सालों से पानी नही पहुंच पाया जिससे भूजल स्तर गिरता चला गया । और शहर को पानी की भारी किल्लत का सामना करना पड़ रहा है ।
अब सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी के सख्त निर्देशो के बाद सरकार और प्रशासन को मजबूरन इन अतिकर्मियो के खिलाफ कार्यवाही करनी होगी , पिछले दिनों राष्ट्रीय हरित न्यायधिकरण जस्टिस शिव कुमार ने यह भी निर्देश दिए हैं कि सरिस्का के सीटीएच व बफर जोन में कॉमर्शियल एक्टिविटीज (होटल-रेस्टोरेंट, रिसॉर्ट आदि) नहीं हो सकती हैं। ऐसी गतिविधियों को सरकार चिन्हित कर विस्तृत रिपोर्ट पेश करे। सरिस्का के सीटीएच एरिया का म्यूटेशन होने के बाद यह कार्रवाई अमल में लाई जाए। नोटिफिकेशन के बाद भी सरिस्का का इको सेंसेटिव जोन घोषित न होने पर सरकार से जवाब मांगा है।
पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव (एसीएस) ने भी आदेश पारित कर सरिस्का, रणथंभोर समेत प्रदेश की सभी सेंचुरी की जमीन पर संचालित होटल-रेस्टोरेंट बंद करने के आदेश दे दिए है प्रदेश सरकार ने सभी कलक्टर को जारी किए आदेश में कहा है सीटीएच, बफर जॉन , सेंचुरी, नेशनल पार्क में किसी भी प्रकार की कॉमर्शियल गतिविधियां नही चल सकती ,इस एरिया की जमीन का भू रूपांतरण नहीं होगा, जहां ईएसजेड नहीं है, वहां सेंचुरी लाइन से 10 किमी तक होटल-रेस्टोरेंट नहीं खुल सकते जहां पर ईएसजेड बन चुका, वहां सीटीएच, बफर, सेंचुरी लाइन से एक किमी दूरी तक खनन, होटल व अन्य कॉमर्शियल गतिवधियां नहीं होंगी ।
प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से लेकर वन मंत्रालय से जारी गाइड लाइन के पालन के आदेश सभी कलक्टर को दिए हैं। साफ कहा है कि क्रिटिकल टाइगर हैबीटेट (सीटीएच) या बफर सीमा से एक किमी तक कोई भी कॉमर्शियल गतिविधियां संचालित न होने पाएं। सरकार ने यह भी कहा है कि सीटीएच, बफर, सेंचुरी व ईको सेंसेटिव जोन (ईएसजेड) में आई जमीन का भू रूपांतरण किसी भी दशा में न किया जाए। यदि किसी प्रोजेक्ट के लिए आवश्यकता महसूस हो रही हो तो उसके लिए संबंधित उप वन संरक्षक की अनुमति जरूर ली जाए। यह आदेश आते ही होटल-रेस्टोरेंट, रिसॉर्ट, फार्म हाउस संचालकों में हड़कंप मचा हुआ है ।
इस क्षेत्र में वॉयलेशन की बात करे तो लेक पैलेस सिलीसेढ़ के बहाव और डूब क्षेत्र में आने वाले 16 अतिकर्मियो को चिन्हित किया गया है इनपर कार्यवाही होना लगभग तय माना जा रहा है इसके अलावा सरिस्का बफर जॉन में बिना स्वीकृति के चल रहे होटल रिजॉर्ट में 14 लोगो को अतिक्रमी घोषित किया गया है , इसमे मुख्य रूप से सभी होटल्स और रिजॉर्ट शामिल है जो अपने बचाव में अफसरों और नेताओ के आगे पीछे भागदौड़ में लगे है । इस संदर्भ में मंगलवार को पुनः मौका पर मुआयना करने गए अधिकारी भी सकपका कर मीडिया को जवाब देते नजर आ रहे है ।
अब आगे क्या यह कार्यवाही आगे बढ़ेगी या फिर किसी न किसी तरह से होटल और खान व्यवसाय से जुड़ी लॉबी कोई जुगत बैठा लेगी यह सवाल हर आम की जुबान पर है फिलहाल मंगलवार को जल संसाधन विभाग , यूआईटी , राजस्व विभाग की टीम फिर एक बार सर्वे करने पहुंची है अलवर तहसीलदार तनु शर्मा इसका सुरविजन कर रही है यह टीम अपनी अपनी रिपोर्ट तैयार कर पेश करेगी इस दौरान इस क्षेत्र के चिन्हित सभी 16 अतिकर्मियो सहित अन्य अतिक्रमण कारियो को भी चिन्हित किया जा रहा है जो बहाव और बांध क्षेत्र में बाधा बन रहे है । देखते अभी आगे आगे होता है क्या ..