हर बार त्यौहारों के दौरान शुद्ध के लिए युद्ध चलाया जाता है इस दौरान खासकर मिठाइयो सहित अन्य खाद्दय प्रदार्थो की सेम्पलिंग की जाती है और दूषित पाए जाने और उसे नष्ट करा दिया जाता है और नियमानुसार जो कार्यवाही बनती है वह की जाती है यह रूटीन प्रक्रिया हम हर साल देखते है लेकिन सवाल सिस्टम से है सवाल सम्बंधित विभाग से है आखिर यह जांच अभियान सिर्फ त्यौहारों पर ही क्यों चलाया जाता है हा यह कह सकते है कि इन दिनों मिठाइयो सहित अन्य खाने पीने के सामानों की बिक्री ज्यादा होती है , लेकिन जब यह कार्यवाही की जाती है कही से सेंपल लिए जाते है तो जब तक उसकी जांच होकर आती है तब तक वह आराम से अपनी मिठाई या अन्य सामान खुलकर बेच रहा होता है और वह त्यौहार पर अच्छी खासी बिक्री कर चुका होता है लेकिन जब उस दुकानदार के लिए गए सेम्पल फेल पाए जाते है तो वह कानूनी प्रक्रिया के तहत उसे नोटिस भेजा जाता है और वह मजिस्ट्रेट समक्ष पेश होता जहा उसे एक जुर्माना भरने के आदेश दिए जाते है और वह जुर्माना भर कर फ्री हो जाता है , क्या यह कार्यवाही ऐसे लोगो के लिए काफी है जिसने पूरे त्यौहार के सीजन में मिलावटी या जो विभाग द्वारा खाने के लायक नही माना गया वह उसने आराम से बेचा और एक साधारण सी पेनल्टी के साथ वह फ्री हो गया । डेढ़ सौ से दो सौ रु किलो में बिक रहा है जबकि असली कलाकंद चार सौ रु किलो बिक रहा है . यह हमारे सिस्टम की कमी है हमारे कानून के लचीले पन का ये लोग फायदा उठाते है क्यो नही सरकार इस पर सख्त नियम बनाती जिसमे मोटी पेनल्टी से लेकर दुकान सीज और जेल भेजने तक के प्रावधान होने चाहिए जिससे लोगो के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने वाले ऐसा करने से पहले दस बार सोचे खैर यह परिपाटी चली आ रही है इसे हम बरसो से देखते आ रहे है न विभाग अपनी कार्यशैली बदल रहा है न सरकार जाग रही जिससे मिलावटियो के हौसले बुलंद होते जा रहे है , जरा आप भी कौर कीजियेगा आज हम अगर अलवर के कलाकंद की बात करे जो पूरे देश मे विख्यात है जिसकी साख बनाने में कुछ कलाकंद व्यवसायियो की पीढ़ियां लग गयी जिन्होंने अलवर को यह पहचान दिलाई लेकिन कुछ लोग इस साख पर बट्टा लगाने पर लगे है ,जबकि अलवर यह कलाकंद दिल्ली सहित आसपास के राज्यों में सप्लाई हो रहा है लेकिन अधिकांश वह मिलावटी दूध से बना होता है कही कही तो सिंथेटिक दूध का इस्तेमाल किया जा रहा है , कही सूजी और रिफाइन मिलाकर कलाकंद बनाया जा रहा है , जो डेढ़ सौ से दो सौ रु किलो में बिक रहा है जबकि असली कलाकंद चार सौ रु किलो बिक रहा है . आज कल भी राजस्थान सरकार द्वारा दिवाली के मद्देनजर शुद्ध के लिए युद्ध का विशेष चलाया जा रहा है , कोटपूतली बहरोड जिले के नीमराना में खाद्य सुरक्षा अधिकारियों के दल ने ग्राम जनक सिंह पुरा में दिकशु एवं वंशु मिल्क एजेंसी पर कार्रवाई की गई , खाद सुरक्षा अधिकारी हेमंत कुमार यादव ने बताया कि काफी दिनों से मिलावटी कलाकंद की बिक्री हाईवे के आसपास के होटल एवं रेस्टोरेंटो पर होने की सूचना मिल रही थी , उसे सूचना को जांच दल द्वारा जांचा गया । जांचने पर सूचना सही पाई गई और उस पर कार्रवाई की गई है ,मौके पर कार्रवाई के दौरान मिल्क पाउडर के कटटे , रिफाइंड तेल के पीपे ,सूजी की बोरियां मिली है । इस कारखाने के मालिक सहीराम पुत्र श्री राम सिंह निवासी जनकपुर नीमराना बताया जा रहा है जो यह मिलावटी कलाकंद तैयार कर 150 से 160 रुपए किलो मैं आसपास के सभी होटल एवं रेस्टोरेंटों पर सप्लाई करते है ,हालांकि वह मौके पर मौजूद नहीं थे । इस दौरान कलाकंद एवं मावे के सैंपल भी लिए गए , जिन्हे जांच के लिए जयपुर प्रयोगशाला में भेजा गया है। मौके पर कारी 50 किलो दूषित कलाकंद एवं 60 किलो बदबूदार मावे को मौके पर ही नष्ट कराया गया।