आगामी दिनों में विभिन्न राज्यों सहित झारखंड में भी विधानसभा चुनाव होने है उससे पहले सत्तारूढ़ पार्टी जेएमएम और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को बड़ा झटका लगने वाला है. क्योंकि जेएमएम पार्टी से जुड़े पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन जेजेएम पार्टी छोड़कर 30 अगस्त को बीजेपी में शामिल होने जा रहे हैं.
इसकी जानकारी असम सीएम हेमंत बिस्व सरमा ने अपने आधिकारिक अकाउंट से दी है…अब चर्चा इस बात की है आखिर चंपाई सोरेन जेजेएम को कितना नुकसान पहुंचाने वाले है ।
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन हेमंत सोरेन के काफी नजदीकी माने जाते है जो ‘कोल्हान टाइगर’ के नाम से मशहूर हैं. कहा जाता है जेजेएम पार्टी में शिबू सोरेन और चंपाई सोरेन ही पार्टी का मजबूत स्तंभ बने. उनकी पावर का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पार्टी संस्थापक शिबू सोरेन के बाद चंपाई सोरेन जेएमएम के सबसे बड़े नेता के रूप में उभरे. उनके नेतृत्व और जमीनी स्तर पर काम करने के चलते 2019 का विधानसभा चुनाव जीता गया । हेमंत सोरेन भी जब सीबीआई की गिरफ्त में थे तो चंपाई सोरेन को ही प्रदेश की कमान सौंपी गई थी । लेकिन अब आखिर ऐसा क्या हुआ की चांपाई सोरेन ने एक दम पार्टी छोड़ने का मन बना लिया इतना ही नहीं भाजपा में शामिल होने का ऐलान कर दिया ।
दरअसल हेमंत सोरेन की वापसी के बाद चंपाई से सीएम पद ले लिया गया और बतौर शिक्षा मंत्री उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया गया. हालांकि, बात इसी समय से बिगड़ने लगी. खबरें आईं कि चंपाई सोरेन अपने अपमान से आहत हुए और जेएमएम से उनका मोह भंग होने लगा.
चंपाई आदिवासी और मजदूरों के बड़े नेता माने जाते है , वह संथाल जनजाति से ताल्लुक रखते हैं और इस समुदाय के साथ साथ अन्य जनजातियों पर भी उनकी मजबूत पकड़ मानी जाती है. इसी के साथ वे मजदूर वर्ग के बड़े नेता भी हैं. आदिवासी बहुल इलाका कोल्हान चंपाई सोरेन का गढ़ है, इसलिए उन्हें ‘कोल्हान टाइगर’ के नाम से सम्मानित किया गया.
अब अगर वे बीजेपी में शामिल हो जाते हैं तो कोल्हान, जहां अभी तक जेएमएम की मजबूत पकड़ थी, उस क्षेत्र में बीजेपी शक्तिशाली हो सकती है. इसलिए हेमंत सोरेन के सामने बीजेपी चंपाई सोरेन को उतार कर अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है.
आपको बता दे कोल्हान की 14 सीटों की बात करे तो इसमें पूर्वी और पश्चिमी सिंहभूम के साथ सरायकेला जिले शामिल हैं, जहां कुल 14 विधानसभा सीटें हैं. साल 2019 विधानसभा चुनाव में इनमें से 11 सीटें झारखंड मुक्ति मोर्चा ने जीती थीं. इसमें चंपाई सोरेन की बड़ी भूमिका थी. इसके अलावा, कांग्रेस के पास 2 सीटें आई थीं और एक सीट निर्दलीय उम्मीदवार के पास गई.
बीजेपी इन 14 में से एक सीट पर भी जीत हासिल नहीं कर सकी थी, लेकिन अब चंपाई सोरेन का साथ पाने के बाद बीजेपी यहां आसानी से मजबूती बना सकती है.
कुल मिलाकर झारखंड में चुनावों से पहले इस राजनैतिक उथल पुथल से भाजपा अपनी मजबूत पकड़ बना सकती है ।