आज बात करेंगे आज साइबर क्राइम की जिसमे शातिर साइबर अपराधी लोगो को नए नए तरीकों से जाल में फंसा कर ठगी की वारदात को अंजाम दे रहे है , जैसे जैसे डिजिटल की और हम बढ़ रहे उसी तरह साइबर अपराधी भी ठगी के रोज नए नए तरीकों से लोगो को फंसा रहे है , शुरुआती दौर में मेवात से जुड़े क्षेत्र में इसकी शुरुआत ओएलएक्स पर समान बेचने के नाम पर धोखाधड़ी शुरू हुई , फिर कभी मकान खुदाई में निकली सोने की ईंट को बेचने के नाम पर ठगी की वारदातें सामने आने लगी , इसके बाद सेक्सटॉर्शन के नाम पर लोगो को लूटा गया अब जो नया ट्रेंड है वह डिजिटल अरेस्ट जिसमे आपको सीधा कॉल कर आपको बताया जाएगा आपके नाम से कोई पार्सल बुक हुआ जो पकड़ा गया है उसमें ड्रग्स निकली है , कई मामले ऐसे सामने आये जिसमे कहा जाता आपका बेटा दुष्कर्म के मामले में फंस गया है कही मनी लॉन्ड्रिंग के मामले इस तरह से एक माहौल क्रिएट कर दिया जाएगा आपके व्हाट्सअप पर आपके गिरफ्तारी के वारंट इश्यू भेज दिए जाएंगे , आपको डिजिटल अरेस्ट कर कई कई घण्टो तक आपको टॉर्चर किया जाएगा यहा तक कि बदमाश मोबाईल पर बातचीत के दौरान यह दर्शाने की आवाजें सुनवाएँगे जैसे पुलिस ,सीबीआई और ईडी अभी आपको गिरफ्तार करने आपके घर पहुंचने वाली है सोचिए उस दौरान कही महिला तो कही बुजुर्ग जब इसमें फंसे होते है तो वह किसी भी तरह उनके चंगुल छूटना चाहते है ऐसे में ठग किसी न किसी तरह अपने खातों में रकम ट्रांसफर करवा लेते है ऐसे में आपको खुद एलर्ट रहना होगा इस तरह की कार्यवाह कोई विभाग नही करता है लेकिन इसमें जागरूकता के अभाव में साइबर अपराध रुक नही पा रहे ।
अभी गुजरात पुलिस ने कंबोडियन डिजिटल अरेस्ट गैंग के लिए काम करने वाले एक 26 वर्षीय MBA स्टूडेंट चेतन कोकरे को देश लौटते ही गिरफ्तार किया है ,पकड़ा गया शख्स कंबोडिया के अंतरराष्ट्रीय गिरोह के लिए लोगों को ‘डिजिटल अरेस्ट’ करवाने में कॉलर के रूप काम करता था. आरोपी मुंबई का रहने वाला है जो कुछ समय पहले दक्षिण-पूर्व एशियाई देश से भारत लौटा था.
आरोपी चेतन कोकरे कुछ महीने पहले कम्बोडिया गया था और चीनी और कम्बोडियाई नागरिकों द्वारा चलाए जा रहे एक गिरोह में शामिल हो गया था. यह भारत, पाकिस्तान और नेपाल से लोगों को ईडी, सीबीआई, पुलिस या सीमा शुल्क का फर्जी अधिकारी बनने के लिए गिरोह से जोड़ता था, ताकि ‘डिजिटल अरेस्ट’ के नाम पर अनजान व्यक्तियों से पैसे वसूले जा सकें.
कोकरे ने बताया कि वह मुंबई में एमबीए कर रहा है वह जल्दी पैसे कमाने के लिए कंबोडिया गया था जहां जाकर वह साइबर अपराधियों के एक गिरोह में शामिल हो गया.
गुजरात पुलिस चेतन के पीछे लगी हुई थी “करीब तीन महीने पहले, अहमदाबाद में रहने वाले एक कामकाजी पेशेवर को शख्स का फोन आया, जिसने खुद को एक कूरियर फर्म का कार्यकारी बताया. उसने पीड़ित को बताया कि उसके नाम से बुक किया गया एक पार्सल पुलिस ने जब्त कर लिया है, क्योंकि उसमें ड्रग्स और पासपोर्ट थे. कॉल करने वाले ने पीड़ित को मुंबई साइबर क्राइम से बात करने के लिए कहा.”
इसके बाद कॉल करने वाले ने अहमदाबाद निवासी शख्स से पुलिस क्लीयरेंस सर्टिफिकेट प्राप्त करने के लिए मुंबई साइबर क्राइम अधिकारियों से बात करने के लिए कहा. पुलिस ने बताया कि जब पीड़ित सहमत हो गया, तो कॉल करने वाले ने वीडियो कॉल को दूसरे व्यक्ति से जोड़ा, जिसने खुद को मुंबई क्राइम ब्रांच का डीसीपी मिलिंद बारमडे बताया था ।
“पुलिस की वर्दी पहने हुए फर्जी डीसीपी ने पीड़ित को झूठे मामले में फंसाने की धमकी दी. पीड़ित को आरोपियों ने 10 दिनों तक ‘डिजिटल अरेस्ट कर के रखा गया , और मामले को निपटाने के लिए अपने बैंक खातों में 4 करोड़ रुपये ट्रांसफर करने के लिए मजबूर किया. ठगे जाने का एहसास होने पर पीड़ित ने पुलिस से सम्पर्क किया ,
तकनीकी इनपुट और निगरानी के आधार पर, सीआईडी ने कॉल करने वाले की पहचान मुंबई निवासी कोकरे के रूप में की, जिसने खुद को कूरियर फर्म का अधिकारी बताया और … और उसे गिरफ्तार कर लिया गया है , प्रारंभिक पूछताछ के दौरान आरोपी ने दावा किया कि वह एमबीए कर रहा है और पैसे कमाने के लिए कंबोडिया गया था. इसके बाद वह करीब पांच महीने पहले चीनी और कंबोडियाई नागरिकों द्वारा संचालित एक अंतरराष्ट्रीय आपराधिक गिरोह में शामिल हो गया था ,
गिरोह ने उसे पांच महीने में 10 लाख रुपये दिए. उसके मोबाइल फोन में एक वीडियो से पता चला कि कंबोडिया की एक इमारत से करीब 50 लोग यह रैकेट चला रहे हैं.
गिरोह ने भारतीयों, पाकिस्तानियों और नेपालियों को पुलिस और अन्य सरकारी अधिकारियों के रूप में पेश करने के लिए काम पर रखा है. जहा से यह रैकेट चला रहे है