विश्व शतरंज में सबसे कम उम्र में चैंपियन बनने वाले गुकेश ने यह गौरव हासिल किया है , चीन के डिंग लिरेन को हराकर सबसे कम उम्र में विश्व शतरंज चैंपियन बनने वाले डी गुकेश को ऐसे माता-पिता ने पाला पोसा है जिन्होंने उनके लिए अपने करियर को ब्रेक दिया और उनके सपनों के लिए ‘क्राउड-फंडिंग’ से मदद लेने में संकोच नहीं किया आज पूरे देश में गुकेश नाम रोशन किया है । डी गुकेश शतरंज के इतिहास में तीसरे सबसे कम उम्र के ग्रैंडमास्टर बन गए। उन्होंने 12 साल सात महीने और 17 दिन की उम्र में यह उपलब्धि हासिल की..
भारतीय ग्रैंडमास्टर डी गुकेश वीरवार को यहां उतार-चढ़ाव से भरे खिताबी मुकाबले की रोमांचक 14वीं और आखिरी बाजी में गत चैंपियन चीन के डिंग लिरेन को हराकर 18 साल की उम्र में सबसे कम उम्र के विश्व शतरंज चैंपियन बन गए है ।
आपको बता दे विश्वनाथन आनंद के बाद यह खिताब जीतने वाले गुकेश दूसरे भारतीय बने हैं। आनंद ने अपने करियर में पांच बार यह प्रतिष्ठित खिताब जीता। संयोग से 55 वर्षीय आनंद ने चेन्नई में अपनी शतरंज अकादमी में गुकेश को निखारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। गुकेश ने 14 बाजी के इस मुकाबले की आखिरी क्लासिकल बाजी जीतकर खिताब जीतने के लिए जरूरी 7.5 अंक जुटाए जबकि लिरेन के नाम 6.5 अंक रहे
गुकेश ने इस ऐतिहासिक जीत को दर्ज करने के बाद कहा कि मैं पिछले 10 वर्षों से इस पल का सपना देख रहा था। मुझे खुशी है कि मैंने इस सपने को हकीकत में बदला। ‘मैं थोड़ा भावुक हो गया था क्योंकि मुझे जीत की उम्मीद नहीं थी, लेकिन फिर मुझे आगे बढ़ने का मौका मिला। जीत के बाद मितभाषी किशोर गुकेश के चेहरे पर बड़ी मुस्कान देखी जा सकती थी और उन्होंने जश्न में खुशी से अपनी बाहें ऊपर उठाईं तो मानो पूरा भारत उस खुशी में शामिल हो गया । उनकी यह जीत देश के शतरंज खिलाड़ियों के लिए प्रभुत्व के एक नए युग की शुरुआत करेगी और महान विश्वनाथन आनंद की बेजोड़ विरासत को आगे ले जाएगी।
पीएम मोदी और राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने भी, ”गुकेश डी को उनकी उल्लेखनीय उपलब्धि के लिए बधाई दी पीएम मोदी ने कहा यह उनकी अद्वितीय प्रतिभा, कड़ी मेहनत और अटूट दृढ़ संकल्प का परिणाम है। उनकी जीत ने न केवल शतरंज के इतिहास में उनका नाम दर्ज किया है, बल्कि लाखों युवा दिमागों को बड़े सपने देखने और उत्कृष्टता हासिल करने के लिए प्रेरित किया है। उनके भविष्य के प्रयासों के लिए मेरी शुभकामनाएं।”
आपको बता दे इस जीत के पीछे उनके माता पिता का भी बड़ा योगदान है ,उनके पिता, रजनीकान्त (Gukesh’s Father Rajnikanth) एक ई.एन.टी. सर्जन हैं और उनकी मां पद्मा एक सूक्ष्म जीवविज्ञानी हैं। गुकेश ने सात साल की उम्र में चेस सीखा और उनको ग्रैंडमास्टर बनाने के लिए पिता रजनीकांत ने अपनी नौकरी तक छोड़ दी थी। फिर उनकी मां ने घर की जिम्मेदारियां संभाली। लेकिन, गुकेश मेहनत और उनके पिता का बलिदान आज रंग लाया है। पांच बार के वर्ल्ड चैंपियन विश्वनाथन आनंद (Viswanathan Anand) के बाद गुकेश इस मुकाम पर पहुंचने वाले दूसरे भारतीय हैं। गुकेश, विश्वनाथन आनंद की अकादमी में ट्रेनिंग लेते हैं।