भारतीय रेसलर के तौर पर पेरिस ओलंपिक में अपनी धाक शुरुआती दौर में ही दिखाने वाली विनेश फोगाट मात्र 100 ग्राम ज्यादा वजन होने से उन्हें डिस्कवालीफाई कर दिया गया जिससे देश की खुशियों पर पानी फिर गया , आखिर निराश होकर विनेश फोगाट ने कुश्ती से सन्यास का ऐलान भी कर दिया लेकिन भारत की इस बेटी पर पूरा देश गौरवान्वित महसूस कर रहा है ।
आज इस विशेष में हम आपको बताते है विनेश फोगाट की पूरी कहानी , विनेश का जन्म हरियाणा के चरखी दादरी जिले के बलाली गांव में राजपाल और प्रेमलता के घर हुआ था , पिता रोडवेज में विभाग चालक थे , जब विनेश मात्र 9 साल की थी तभी उनकी मां को बच्चेदानी का कैंसर डिटेक्ट हुआ था , इसके कुछ दिन बाद ही एक जमीनी विवाद में कुछ लोगो ने उनके पिता की हत्या कर दी । पिता की मौत के बाद उनकी मां ने तमाम संघर्षों के साथ विनेश सहित तीन बच्चो को पाला , विनेश ने 2018 में साथी रेसलर सोमवीर राठी से शादी कर ली ।
विनेश का इंट्रेस्ट बचपन से ही रेसलिंग में था उसने 6 साल की उम्र में रेसलिंग की ट्रेनिग शुरू कर दी थी , उनके चाचा पहलवान महावीर फोगाट एक नामी कोच हुआ करते थे ,उन्होंने ने विनेश को शुरुआती ट्रेनिंग दी ।
इसके बाद 2013 में दिल्ली में आयोजित एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप के जरिए विनेश ने रेसलिंग में अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत की , विनेश कुश्ती को लेकर इतनी गंभीर थी कि सुबह 3:30 बजे उठकर सात से आठ बजे तक रोजाना प्रेक्टिस किया करते थी , इसका एक ही मकसद था ट्रेनिंग , खान और सोना बस इस समर्पण की वजह से हुए 53 किलोग्राम भार वर्ग में दुनिया की वह नंबर रेसलर बनी ।
तीन बार ओलंपिक खेल चुकी विष के लिए यहां तक का सफर बेहद कठिन रहा पिता को खूब देने के बाद गांव और समाज के लोग लगातार उनके परिवार पर जल्दी शादी का दबाव बनाते रहे लेकिन विष ने हार नहीं मानी वे बचपन से जुझारू थी उनके जुझारोपण के कारण साथी रेसलर उन्हें क्वीन भी यानी मधुमक्खियां की रानी भी कहते हैं विष बताती है की शुरुआत में उन्हें कुश्ती पसंद नहीं थी अन्य लड़कियों की तरह वह भी नौकरी और पढ़ाई के बारे में सोचते थे लेकिन परिवार में कुश्ती का माहौल होने और कुछ मेडल जीतने के बाद उनकी रुचि इसमें जगने लगी विष को लंबे समय तक टेनिस से भी खूब लगाव रहा भारतीय टेनिस स्टार सानिया मिर्जा की तस्वीरों को उन्होंने खूब सहेज कर रखा विष को मिठाई और की काफी पसंद बताया जाता है हालांकि रेसलिंग के चलते खान-पान में कढ़ाई होने के बावजूद जब वे कोई मैच हार जाती है या फिर चोट लगती है तो फिर भी मीठा और घी खूब खाती है उन्हें संगीत सुनना भी काफी पसंद है 2004 में आई फिल्म लक्ष्य का गीत उनका पसंदीदा बताया जाता है ।
अब आपको बताते हैं कि विनेश ने कौन-कौन से अवार्ड प्राप्त किए हैं , 2016 में भारत सरकार ने उन्हें अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया , वही खेल के क्षेत्र में दिया जाने वाला सबसे बड़ा सम्मान मेजर ध्यानचंद खेल रत्न अवार्ड भी 2020 में विनेश को दिया जा चुका है , हालांकि रेसलिंग फेडरेशन के विरोध के दौरान उन्होंने दोनों सम्मान वापस कर दिए थे ।
विनेश अभी तक तीन ओलंपिक खेल चुकी है वह 2016 के ओलंपिक में 48 किलोग्राम भार में शामिल हुई वही 2020 में 53 किलोग्राम और 2024 में 50 किलोग्राम कैटेगरी में शामिल हुई थी , विनेश ने शादी में 8 फेरे लिए थे आठवां फेरा बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और बेटी खिलाओ के संकल्प का था ।
2020 के टोक्यो ओलंपिक में ऑफिशल किट नहीं पहने और अनुशासनहीनता के आरोप उन पर लगे थे , इस पर भारतीय कुश्ती संघ ने उन्हें निलंबित भी कर दिया था , वही महिला पहलवानों के कथित यौन शोषण मामले में साल 2023 में दिल्ली के जंतर मंतर में हुए प्रदर्शन में वह शामिल हुई थी और यह प्रदर्शन देश भर में चर्चित रहा था , इस बार विनेश जब 100 ग्राम वजन ज्यादा होने से जब उन्हें डिस्कवालीफाई कर दिया गया तो कुछ लोगो ने विनेश के साथ जानबूझ कर अयोग्य कराने के षड्यंत्र का भ्रम फैलाया ।
दरअसल इस बार विनेश ने 50 किलोग्राम कैटेगरी में उतरी थी जबकि इससे पहले वह टोक्यो ओलंपिक में वह 53 किलोग्राम कैटेगिरी में खेली थी , जाहिर तौर पर उनके लिए वेट कटिंग महत्वपूर्ण थी , शुरुआती राउंड से पहले उनका वजन 50 किलो से कम था और अगले दिन के परीक्षण से पहले उन्होंने रूटिंन वेट कटिंग शुरू कर दिया लेकिन एक समय पर उनकी बॉडी ने पसीना छोड़ने तक बंद कर दिया था इसका अर्थ था कि उनकी बॉडी में अब घटाया जा सकने योग्य द्रव्य पूरी तरह से खत्म हो चुके हैं इस स्टेज पर चेकिंग में उनका वजन तय मनको से 100 ग्राम ज्यादा निकला जिससे उन्हें डिसक्वालिफाइ कर दिया गया था ।
विनेश फोगाट के यहां तक के सफर में उनके चाचा महावीर फोगाट का बड़ा योगदान है , विनेश से पहले महावीर फोगाट
ने अपनी बेटियों गीता और बबीता को कुश्ती की ट्रेनिंग देने का उस समय निश्चय किया, जो उस समय एक क्रांतिकारी विचार था। उनके इस फैसले का समाज ने कड़ा विरोध किया, लेकिन महावीर ने हार नहीं मानी। उन्होंने अपनी बेटियों को लड़कों के साथ ट्रेनिंग दिलवाई और उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सफलता दिलाने के लिए कड़ी मेहनत की।
गीता फोगाट ने 2010 में कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया। बबीता ने भी इसी तरह से विभिन्न प्रतियोगिताओं में सफलता हासिल की। महावीर की कठिन मेहनत और अटूट विश्वास ने उनके परिवार को भारतीय कुश्ती के क्षेत्र में एक नई ऊँचाई पर पहुँचाया।