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अवैध खनन बना नासूर,रामगढ़ में लीज खानों की आड़ में अवैध खनन का खेल…

प्रदेश में आजकल सफाई कर्मचारियों ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर हड़ताल कर रखी है इसका असर अलवर में भी देखने को मिल रहा है यहां नगर निगम क्षेत्र में चारो तरफ गंदगी के ढेर लगे है लेकिन निगम प्रशासन इसका कोई अस्थायी समाधान भी नही निकाल पा रहा जिसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है । लेकिन यह कारण तो हड़ताल की वजह से माने जा रहे है लेकिन इससे पहले भी अलवर शहर में सफाई व्यवस्था पर हमेशा सवाल उठते रहे है यहां तक कि अलवर सांसद भूपेंद्र यादव ने शहर में गंदगी देखते हुए इंदौर में साफाई व्यवस्था देखने को भेजा लेकिन उसका असर अभी तक तो नजर आया नही है लेकिन सफाई ठेकों के नाम पर क्या बड़ा खेल चल रहा है आज इस पर हमारी स्पेशल स्टोरी..

नगर निगम अलवर में 65 वार्ड है यहां सफाई के लिए शहर को तीन जॉन में बांटा हुआ है , यहां सफाई के नाम पर हर माह करीब डेढ़ से दो करोड़ रु खर्च किये जा रहे है बावजूद इसके हमारे सांसद भूपेंद्र यादव जी नगर निगम आयुक्त बजरंग सिंह चौहान और सभापति घनश्याम गुर्जर को तंज कसते हुए कहा था सफाई व्यवस्था देखनी है तो इंदौर होकर आइए , दोनो सहाब इंदौर भी होकर आए लेकिन क्या सीख कर आये वह अभी कुछ नही कहा जा सकता कुलमिलाकर इससे यह साफ है कि सांसद जी को अलवर साफ नजर नही आया खैर आगे चलते है दरअसल निगम सफाई के नाम पर बड़े बड़े ठेके तो छोड़ता है लेकिन वही ढाक के तीन पात नजर आते है ।

पहले आपकी बताते है नगर निगम में सफाई के नाम पर क्या चल रहा है खेल यहां किस तरह पर्दे के पीछे जनप्रतिनिधियो की ठेके में संलिप्तता है , क्यों ठेकेदारों पर सख्ती से शरायतो की अनुरूप पालना नही कराई जाती , किन वजहों से पूरा सिस्टम सवालों के घेरे में है ।
दर असल हाल ही में नगर निगम अलवर के 65 वार्डो में सफाई के ठेके करीब सवा करोड़ में छोड़े गए है जो पहले करीब 65 से सत्तर लाख रु प्रति माह होते थे , लेकिन ठेके की राशि तो लगभग डबल कर दी गयी लेकिन शहर के हालात आपके सामने है , इतना ही नही शहर में सफाई के नाम पर सुलभ कॉम्प्लेक्स , मूत्रालय , नालों की सफाई के अलग से ठेके , अंबेडकर नगर से गोलेटा तक कचरा पहुंचाने का अलग और गोलेटा में कचरा निस्तारण का अलग से ठेका होता है इन सब मे करीब हर माह करीब दो करोड़ रु खर्च किये जा रहे है ।

सफाई ठेकों को 1 ,2 और 3 जॉन में बांटा गया है जिसमे एक और दो जॉन का जो ठेका है वह कहने को तो किसी बाहर की कम्पनी हाईटेक सिक्योरिटी के नाम से है लेकिन इसका संचालन एक पार्षद के चाचा द्वारा किया जाना बताया जा रहा है । इसी फर्म के पास ही अंबेडकर नगर स्थित कचरा संग्रहन केंद्र से गोलेटा तक कचरा पहुंचाने का ठेका भी है । हालांकि कुछ पार्षद दबी जुबान से कई जनप्रतिनिधियों के इसमे शामिल होने की बात आती है लेकिन वह कागजों में नही है , वही दूसरा तीन नंबर जॉन का ठेका जो वही पुरानी पार्टी त्रिमूर्ती एंटरप्राइजेज के नाम से है जो पुल पार का क्षेत्र है , लेकिन शरायतो के अनुरूप सफाई में काम नही होता अगर होता तो शायद शहर के ये हालात नही होते ।

सफाई ठेकेदारो पर कई तरह के आरोप लगते है दरअसल सभी पैसठ वार्डो में ठेकेदारों को हर वार्ड में अपने 11 कर्मचारी सफाई के देने होते है वही छह कर्मचारी निगम के होते है , लेकिन आरोप लगते है ठेकेदार द्वारा किसी भी वार्ड में पूरे 11 कर्मचारी नही लगाए जाते , जबकि निगरानी के लिए कुछ बाबुओं की ड्यूटी सफाई निरीक्षक के रूप में लगाई जाती है , जिन्हें कोई तजुर्बा तक नही है , वही मुख्य सफाई निरीक्षक एईएन दिनेश वर्मा है जिन्हें हेल्थ ऑफिसर तक बना रखा है । यहां जिसकी एप्रोच होती उसे ही मनचाही सीट मिल जाती है ।

सफाई ठेकों में जो हम बात कर रहे थे ठेकेदार द्वारा हर वार्ड में अपने 11 कर्मचारी देने होते है लेकिन फर्जी हाजरी के आरोप इन पर लगते रहते है लेकिन निगम प्रशासन इन पर क्यों इतना मेहरबान है इस पर सवाल उठाना इसलिए लाजमी है क्योंकि शरायतो के अनुसार ठेकेदार द्वारा अपने सभी कर्मचारियों के पीएफ और ईएसआई क्यों नही काटता , ठेकेदार द्वारा कभी भी एक वार्ड फिक्स कर्मचारी नही लगाए जाते , न ही उनके आईकार्ड बनाये जाते है , इनका न ही कोई बीट सिस्टम बनाया हुआ है ।

थोड़ा और आपको जानकारी साझा करते है निगम के अनेको वाहन और संसाधन ठेकेदार द्वारा इस्तेमाल किये जा रहे है लेकिन यह अपनी ठेके के कर्मचारियों को 285 रु प्रतिदिन तो देते है लेकिन उसमें भी फावड़ा और पराती उसी कर्मचारी की होती है ।

सफाई ठेके ने नगर परिषद द्वारा उपलब्ध कराए गए संसाधनों में माउंटेन ट्रक और ट्रेक्टर स्लीप मशीन द्वारा सड़को को साफ किया जाना भी तय है जिसमे कर्मचारी ठेकेदार के होंगे लेकिन यह व्यवस्था अक्सर नजर नही आती है , इसके अलावा पिछले आयुक्त के कार्यकाल में दो बड़ी मशीनें भी सड़को के किनारों से कचरा सिक कर उठाने के लिए माउंटेन ट्रक स्लिप मशीन मंगवाई गयी थी जिसकी एक कि कीमत करीब 25 लाख है लेकिन वह भी शोपीस बन कर खड़ी है ।

निगम के पास न तो पैसों की कमी है न ही संसाधनों की बस कमी है सही मोनेटरिंग की क्योंकि इतने बड़े बड़े ठेकों के बावजूद मॉनसून को देखते हुए नालों की सफाई का ठेका प्रतिदिन के हिसाब से करीब 32 लाख में छोड़ तो दिया गया जिसमें एक सिस्टम के तहत दोनों तरफ से पानी को रोककर ,ट्रेक्टर ट्रॉली को मौके पर खड़ा कर हाइड्रोलिक मशीन से कचरे को सीधा ट्रेक्टर में भरकर ले जाना था लेकिन शरायतो के अनरूप वह भी काम नही हो पा रहा , नालों की सफाई में जेसीबी से कचरा निकाल कर बाहर पटक दिया गया जिससे फिर उसके नाले में बह जाने का अंदेशा बना रहा , बताया जा रहा है यह ठेका प्रिया कंस्ट्रक्शन कंपनी को दिया गया है जिस पर पहले भी कई प्रश्नचिन्ह लगे है ।

खैर नगर निगम की जिम्मेदारी है शहर को साफ सुथरा रखना , निगम में बैठे जिम्मेदार लोगो से एक सवाल इतना जरूर है आप शहर में कटी घाटी पर स्वागत गेट बनाने पर डेढ करोड़ रु तो खर्च कीजिये लेकिन शहर में आने वाले पर्यटक और अन्य लोगो पर भी शहर की इमेज गंदगी वाला शहर की लेकर न जाये थोड़ा इस पर भी ध्यान दीजिए यह शहर आपका भी है ।

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