करीब 20 पहले लाल किला पर हुए हमले के मामले में दोषी ठहराए गए पाकिस्तानी आतंकवादी मोहम्मद आरिफ उर्फ अशफाक की दया याचिका को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने खारिज कर दी. यह मामला करीब 24 साल पुराना है ,जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने पाकिस्तानी आतंकवादी दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुनाई थी.
राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू द्वारा 25 जुलाई, 2022 को कार्यभार संभालने के बाद यह दूसरी दया याचिका खारिज की है ,
सुप्रीम कोर्ट द्वारा मोहम्मद आरिफ को दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुनाई थी , राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू के समक्ष 15 मई को मोहम्मद आरिफ की दया याचिका पेश की गई थी जिसे 27 मई को खारिज कर दिया गया ।
दरअसल 22 दिसंबर, 2000 को आतंकियों ने लाल किला परिसर में तैनात 7 राजपूताना राइफल्स यूनिट पर गोलीबारी की थी. इससे वहां तैनात तीन सैन्यकर्मियों की मौत हो गयी थी , बता दें कि मोहम्मद आरिफ एक पाकिस्तानी नागरिक होने के साथ-साथ प्रतिबंधित लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का सदस्य था. लाल किला पर हमले के चार दिन बाद दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया था.
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले 2022 में सजा सुनाई थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आरोपी मोहम्मद आरिफ उर्फ अशफाक एक पाकिस्तानी नागरिक था और उसने अवैध रूप से भारतीय क्षेत्र में प्रवेश किया था और अन्य आतंकवादियों के साथ मिलकर हमला करने का दोषी पाया गया था. इससे पहले ट्रायल कोर्ट ने अक्टूबर 2005 में उसे मौत की सजा सुनाई थी. दिल्ली उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय ने बाद की अपीलों में इस फैसले को बरकरार रखा था.
इसके पहले सुप्रीम कोर्ट ने मौत की सजा बरकरार रखी थी , कोर्ट ने साफ कहा था कि लाल किले पर हमला देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता के लिए सीधा खतरा था.