नई दिल्ली. दिल्ली उच्च न्यायालय को बुधवार को अवगत कराया गया कि राष्ट्रीय राजधानी स्थित सुनहरी बाग मस्जिद के प्रस्तावित विध्वंस का मुद्दा धरोहर संरक्षण समिति (एचसीसी) की सिफारिश के लिए उसके समक्ष भेजा गया है. अदालत मस्जिद के इमाम की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) के 24 दिसंबर के उस सार्वजनिक नोटिस को चुनौती दी गई है, जिसमें आम जनता से मस्जिद को हटाने के संबंध में आपत्तियां/सुझाव देने को कहा गया था.
यातायात पुलिस की ओर से पेश वरिष्ठ वकील संजय जैन ने कहा कि याचिका इस स्तर पर निरर्थक है, क्योंकि मामला एचसीसी के समक्ष लंबित है और याचिकाकर्ता समिति के फैसले के बारे में “पूर्वानुमान” नहीं लगा सकता है. न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने भी इस पहलू पर याचिकाकर्ता के वकील से सवाल किया और पूछा कि क्या याचिका पर फिलहाल बहस की जा सकती है, क्योंकि विध्वंस का खतरा एचसीसी द्वारा सिफारिश किए जाने के बाद ही आएगा.
याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता विराज आर. दातार ने कहा कि वह एनडीएमसी की कार्रवाई की वैधता को चुनौती दे रहे हैं और यदि यह याचिका दायर नहीं की गई होती तथा एचसीसी द्वारा प्रतिकूल सिफारिश की जाती है तो उन्हें “48 घंटों के भीतर अदालत आना होगा.”
सुनहरी बाग मस्जिद के विध्वंस संबंधी याचिका पर विचार से इनकार
बीते 21 फरवरी को ही दिल्ली उच्च न्यायालय ने क्षेत्र में कथित यातायात जाम के कारण सुनहरी बाग मस्जिद के प्रस्तावित विध्वंस के खिलाफ दायर एक जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत पीएस अरोड़ा की खंडपीठ ने कहा कि इसी तरह की एक याचिका पहले से ही उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश के समक्ष लंबित है और आदेश पारित करने की आवश्यकता नहीं है.
पीठ ने कहा था, “चूंकि दिल्ली वक्फ बोर्ड द्वारा वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा के लिए इसके कानूनी और विशेष कर्तव्यों के निर्वहन में पहले ही उचित उपाय किए जा चुके हैं, इसलिए इस अदालत का मानना है कि वर्तमान रिट याचिका में किसी आदेश की आवश्यकता नहीं है. तदनुसार, याचिका बंद की जाती है.”
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FIRST PUBLISHED : February 28, 2024, 23:23 IST