हाइलाइट्स
अपने आठ महीने के कार्यकाल में केके पाठक ने दिखा दी अपनी धमक.
केके पाठक ने लिए बड़े फैसले, सरकार से लेकर राजभवन तक टकराव.
जानिए अपर मुख्य सचिव के तौर पर क्या-क्या थे केके पाठक के फैसले.
पटना. शिक्षा विभाग में अपर मुख्य सचिव रहने के दौरान केके पाठक की सरकार और राजभवन से लगातार खींचतान बनी रही. शिक्षा के क्षेत्र में सुधार लाने के लिए उन्होंने कई ऐसे फैसले लिए जो शिक्षकों को रास नहीं आया. स्कूलों से लगातार अनुपस्थित रहने वाले छात्रों के नाम काट दिये गये, वहीं स्कूल से गायब पाए जाने वाले शिक्षकों पर भी कार्रवाई की गई. केके पाठक द्वारा जिला अधिकारियों को अपने-अपने क्षेत्र में नियमित रूप से स्कूलों के निरीक्षण का भी निर्देश दिया गया.
अपर मुख्य सचिव के तौर पर पिछले 8 महीने में उन्होंने कई बार स्कूलों का निरीक्षण किया और व्यवस्था दुरुस्त नहीं होने पर कार्रवाई भी की. शिक्षकों और कर्मचारियों के खिलाफ सख्ती दिखाए जाने के बाद केके पाठक का शिक्षक संघ ने विरोध करना शुरू कर दिया था. उनके खिलाफ सड़क पर आंदोलन किया गया. विरोध होने पर के के पाठक ने शिक्षक संघ को पड़ी प्रतिबंध लगा दिया इस मुद्दे पर भी काफी बवाल मचा.
चंद्रशेखर और केके पाठक का टकराव
महागठबंधन की सरकार में जब प्रोफेसर चंद्रशेखर शिक्षा मंत्री थे तब के के पाठक का उनसे जमकर टकराव हुआ. केके पाठक ने अपने स्तर पर कई फैसले लिए जिसे नाराज होकर मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर ने कार्यालय आना बंद कर दिया था. इसके बाद विवाद बढ़ा तो केके पाठक स्वयं अवकाश पर चले गए और उनके इस्तीफे को लेकर अटकलें चलती रहीं. कई बार मंत्री चंद्रशेखर और केके पाठक के बीच तनातनी की खबरों को लेकर महागठबंधन सरकार की फजीहत भी हुई.
राजभवन से भी भिड़ते रहे केके पाठक
केके पाठक ने शिक्षा विभाग में अपने कार्य कल के दौरान कोई ऐसी फैसले लिए जिससे राजभवन से भी उनका आमना सामना हुआ. विश्वविद्यालय के मामले में केके पाठक राज्यपाल से भी भिड़ गये. विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति के लिए शिक्षा विभाग द्वारा विज्ञापन जारी करना चौंकाने वाला फैसला था. शिक्षा विभाग ने यह फैसला तब लिया था जब राज भवन पहले ही कुलपतियों की नियुक्ति का विज्ञापन जारी कर चुका था. इसके बाद कुलपति का आवेदन देने वाले लोग भ्रमित हो गए थे. बाद में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा हस्तक्षेप किया गया और उनके कहने पर शिक्षा विभाग ने अपना विज्ञापन वापस लिया.
केके पाठक ने निशाने पर विश्वविद्यालय भी रहे
हाल ही में केके पाठक ने कुलपतियों और कुल सचिवों और विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों की बैठक बुलाई. शिक्षा विभाग द्वारा बुलाई गई इस बैठक पर राजभवन ने आपत्ति भी जाहिर की. लेकिन, जब शिक्षा विभाग की बैठक में कुलपति और दूसरे लोग नहीं पहुंचे तब उनके वेतन को रोकने का आदेश दिया गया. विश्वविद्यालय के अकाउंट को भी फ्रीज कर दिया गया. इसको लेकर भी नीतीश सरकार को दुविधा की स्थिति का सामना करना पड़ा कि आखिर वह क्या फैसला ले.
स्कूलों की टाइमिंग को लेकर टेंशन
केके पाठक ने पिछले दिनों स्कूलों का समय सुबह 9:00 बजे से शाम 5:00 तक कर दिया था. शिक्षकों के साथ ही अभिभावकों ने इसका विरोध किया. सदन में भी यह मामला जोर-शोर से उठा. मुख्यमंत्री ने घोषणा भी की 10:00 से 4:00 बजे तक ही विद्यालय में पठन पाठन चलेगा, लेकिन के के पाठक अपनी अपने आदेश को वापस लेने को तैयार नहीं थे.
विद्यालयों में अवकाश पर हुई रार
स्कूलों में छुट्टियां को लेकर भी केके पाठक विवादों में रहे. महागठबंधन सरकार के समय शिक्षा विभाग ने स्कूलों में रक्षाबंधन और दूसरे हिंदू त्योहारों में छुट्टियों में कटौती कर दी तब बीजेपी ने इसका जमकर विरोध किया. जनवरी महीने में भीषण शीतलहर के दौरान भी उन्होंने स्कूलों को खोलने का आदेश दिया जिससे पटना के जिला अधिकारी और शिक्षा विभाग की जमकर अनबन हुई.
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FIRST PUBLISHED : March 1, 2024, 08:36 IST