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रामगढ़ विधानसभा उपचुनाव में भाजपा के लिए मुश्किल ज्यादा

रामगढ़ रामगढ़ विधानसभा उपचुनाव में भाजपा के लिए मुश्किल ज्यादा एक अनार सौ बीमार , दावेदारों की लंबी लाइन कांग्रेस के संभावित आर्यन जुबेर खान का नाम फाइनल

राजस्थान में सात विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने वाले है इसके लिए चुनाव आयोग ने तारीखों का ऐलान भी कर दिया है राजस्थान की झुंझनू , दौसा , देवली – उनियरा , खींवसर , चौरासी ,सलंबुर और रामगढ़ है जहां 13 नवंबर को मतदान होना है और मतगणना 23 नवंबर को होनी है और नामांकन प्रक्रिया 18 से 25 अक्टूबर तक रहेगी , पहले आपको बता दे कि राजस्थान की इन सात सीटों में सिर्फ सलंबुर सीट भाजपा के पास थी इसके अलावा बाकी छह में से चार कांग्रेस के पास और एक बीएपी और एक आरएलपी के पास थी इन सात सीटों में पांच विधायक ऐसे थे जो सांसद बन चुके है साथ ही दो सीटों पर विधायकों के निधन से उपचुनाव हो रहे है इनमें एक सीट अलवर जिले के रामगढ़ की है जहां चार बार विधायक रहे जुबेर खान के बीमारी के चलते इंतकाल हो गया था आज बात इसी विधानसभा सीट की ..जानते है क्या है यहां के सियासी समीकरण

रामगढ़ सीट अपने आप में एक हॉट सीट मानी जाती है जहां अक्सर चुनाव हिन्दू वर्सेज मुस्लिम बना दिया जाता है इसी वजह से भाजपा यहां हिंदूवादी कार्ड खेलती आई है तो कांग्रेस भी अक्सर मेव मुस्लिम को प्रत्याशी बनाती आई है यहां से कांग्रेस के जुबेर खान चार बार विधायक रहे एक बार उनकी पत्नी सफिया खान विधायक बनी तो वही भाजपा के हिंदूवादी नेता ज्ञान देव आहूजा तीन बार विधायक बने है पिछले चुनावों में भाजपा ने ज्ञान देव आहूजा का टिकिट काटकर उनके भतीजे जय आहूजा को प्रत्याशी बनाया उनकी भी छवि एक कट्टर हिंदूवादी नेता की मानी जाती है लेकिन वह चुनाव हार गए थे , हालांकि उनकी हार के पीछे भी भाजपा के बागी बने सुखवंत सिंह रहे जिन्हें टिकिट नहीं मिला और वह आजाद समाज पार्टी के बैनर पर मैदान में उतर गए थे जिससे जय आहूजा को हार का सामना करना पड़ा और जुबेर खान की राह आसान होती चली गई फिलहाल पिछले लोकसभा चुनावों में भाजपा प्रत्याशी भूपेंद्र यादव सुखवंत सिंह को वापिस भाजपा में ले आए थे , अब एक बार फिर 11माह बाद विधायक जुबेर खान के निधन के बाद उपचुनाव की तैयारियों में राजनैतिक पार्टियां सक्रिय हो चुकी है इसमें हालांकि कांग्रेस में प्रत्याशी के नाम को लेकर ज्यादा विवाद नहीं नजर आ रहा ऐसा माना जा रहा है और पार्टी के नेता भी संकेत दे चुके है टिकिट जुबेर खान के परिवार को ही दिया जाएगा इसमें भी उनकी पत्नी सफिया के बजाय उनके छोटे बेटे आर्यन की चर्चा ज्यादा है , पार्टी मानती है आर्यन को जुबेर के इंतकाल से सहानुभुति के तहत आर्यन को समर्थन मिल सकता है हालांकि उन्हें वह युवा है पढ़े लिखे है लेकिन उन्हें राजनैतिक अनुभव कम है । अगर ऐसे में पार्टी आर्यन पर दाव लगाती है चाहे वह हारे या जीते लेकिन जुबेर खान की राजनैतिक विरासत के रूप में जरूर स्थापित हो जाएंगे ।

अब जरा बात भाजपा की कर लेते है जहा टिकिट को लेकर रस्साकशी चल रही है क्योंकि यहां टिकिट मांगने वालो की एक लंबी लाइन है , पार्टी भी कदम फूंक फूंक कर रख रही है कही पिछले चुनावों की तरह फिर कोई बागी होकर नुकसान न पहुंचा दे हालांकि पिछले दिनों यहां दौरे पर आए प्रदेश प्रभारी राधा मोहन दास और प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ स्पष्ट कर चुके है कि प्रत्याशी कमल का फूल होगा जिसे भी टिकिट मिलेगा उसे किसी भी हाल में सबने मिलकर जीताना है , अगर भाजपा के मुख्य दावेदारों की अगर बात करे तो इसमें ज्ञान देव आहूजा, जय आहूजा , सुखवंत सिंह और बनवारी लाल सिंघल के नामों के अलावा भी ऐसे अनेकों नाम है जो कई सालों से पार्टी के लिए काम करते आए है और वह हर बार दावेदारी तो जताते है लेकिन टिकिट नहीं मिल पाती क्योंकि यह दूसरी लाइन के नेता है बेचारे बड़े नेताओं के आगे ज्यादा विरोध भी नहीं कर पाते न ही सुखवंत सिंह की तरह बगावत करने की हिम्मत कर पाते है इनमें रमन गुलाटी जो उप जिला प्रमुख रह चुके है वह लगातार हर चुनाव में अपनी दावेदारी जताते रहे है , इसी तरह देवेंद्र दत्ता शिंटु जो राजनैतिक रूप से क्षेत्र में स्टबलिस्ट है हर बार दावेदारी जताते है , यहां से पूर्व विधायक रहे रघुवर दयाल के बेटे नरेश गोयल दावेदारी जताते आए है , मेजर धीर जाट समाज से आते है सोशल वर्कर भी है कट्टर भाजपा समर्थक भी है वही ओड समाज एक बड़ा वर्ग है इसमें भी सुदेश खाम्बरा पूर्व सभापति पति और निर्मल सूरा सहित ईश भारद्वाज टिकिट की दौड़ में हाथ पांव मारते आए है ।

इस बार भाजपा किसे प्रत्याशी बनाएगी क्या फिर एक बार जय आहूजा को प्रत्याशी बनाया जाएगा या पार्टी सुखवंत और जय आहूजा के बीच की अदावत के चलते कही बनवारी लाल सिंघल तो बाजी नहीं मार जायेंगे क्योंकि उनकी छवि भी रामगढ़ चुनाव के अनुरूप फिट बैठती है हालांकि यह भी माना जा रहा टिकिट वितरण में महत्वपूर्ण भूमिका अलवर सांसद व केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव की रहने वाली है ..रामगढ़ सीट सिर्फ भूपेंद्र यादव ही नहीं अलवर शहर विधायक ,वन मंत्री संजय शर्मा की साख भी दाव पर लगी है पार्टी किसी भी सूरत में इस सीट पर जीत हासिल करने के प्रयास में जुटी है ।

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