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चंडीगढ़ – मेयर चुनांव पर सुप्रीम कोर्ट का सख्त फैसला, आप पार्टी प्रत्याशी को किया विजयी घोषित…

चंडीगढ़

मेयर चुनांव पर सुप्रीम कोर्ट का सख्त फैसला

आप पार्टी प्रत्याशी को किया विजयी घोषित

आरओ पर सीआरपीसी की धारा 340 के तहत मुकदमा दर्ज के आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक ऐतिहासिक फैसले में चंडीगढ़ मेयर चुनाव में विजेता घोषित बीजेपी प्रत्याशी मनोज सोनकर का निर्वाचन रद्द कर दिया , कोर्ट ने आम आदमी पार्टी व कांग्रेस के संयुक्त प्रत्याशी कुलदीप कुमार को विजेता घोषित कर दिया । कोर्ट ने चुनाव प्रक्रिया में गंभीर खामियां पाते हुए रिटर्निंग ऑफिसर अनिल मसीह पर केस चलाने के भी आदेश दिए हैं

चंडीगढ़ मेयर चुनाव पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला एक स्पष्ट संदेश देने वाला है , सुप्रीम कोर्ट ने सभी मत पत्रों जिन्हें विवादस्पद रिटर्निग अफसर आरो ने अमान्य करार देते हुए नहीं गिना था , कोर्ट ने सभी मतपत्रों को स्वयं देखें और कहा यह मत आप पार्टी के प्रत्याशी को गए हैं , कोर्ट ने आप कांग्रेस प्रत्याशी को विजय घोषित किया , कोर्ट ने रिटर्निंग अधिकारी अनिल मसीह पर कोर्ट को गुमराह करने के लिए सीआरपीसी की धारा 340 के तहत मुकदमा चलाने के निर्देश दिए , विवादास्पद आरओ बीजेपी का नामित सभासद और कार्यकर्ता है , कोर्ट में आरोपी के वकील ने कहा कि उनका निर्णय गलत या सही हो सकता है , पर उनकी मंशा पर शक नहीं किया जाना चाहिए , सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट का रवैया बेहद सख्त रहा , सीजेआई ने कहा प्रजातंत्र की हत्या होते हुए नहीं देख सकते , कोर्ट की इस टिप्पणी से पूरा चंडीगढ़ प्रशासन और संबंधित राजनीतिक दल सकते में आ गए , क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने न केवल रिकॉर्ड को तलब किया बल्कि मत पत्रों को स्वयं देखे और नैतिक रूप से निशाना लगाने वाले आरो को दोनों दिन सुनवाई के दौरान उपस्थित होने के भी आदेश दिए थे । कोर्ट में आप प्रत्याशी के वकील ने कहा केवल तीन आधार पर कोई मतपत्र खारिज हो सकता है पहले दो या अधिक प्रत्याशियों पर निशान लगाए हो , दूसरा अपनी पहचान बताई हो , तीसरा ऐसा निशान लगाए हो जिससे यह स्पष्ट होता हो कि किस प्रत्याशी को मत दिया गया है । चीफ जस्टिस ने कहा वीडियो में साफ दिखाई दे रहा है कि रिटर्निंग ऑफिसर ने 8 बैलट पेपर पर निशान लगाए इससे यह अमान्य हो गए , यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हनन है ,आरओ मसीह ने कोर्ट में झूठ बोला कि उन्होंने खराब बैलेट पेपर पर निशान लगाए थे और उन्हें खराब घोषित कर निशान लगाया गया था , कोर्ट ने अफसर पर अवमानना का केस चलाने के आदेश दिए

दूसरी बार भाजपा को कोर्ट से झटका

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट का रवैया चुनावी बांड को लेकर भी काफी सख्त रहा था तथा कोर्ट ने न केवल चुनावी बांड पर रोक लगा दी थी बल्कि 5 वर्षों में बॉन्ड खरीदने वाले कॉर्पोरेट घरानों के नाम घोषित करने का चुनाव आयोग को आदेश दिया था , दोनों फैसलो में सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा संदेश दिया , इन दोनों घटनाक्रम में भाजपा को बड़ा झटका लगा है ।

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